अजयारविंद नामदेव, शहडोल। मध्यप्रदेश शासन द्वारा निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच के लिए शहडोल भेजी गई उच्चस्तरीय टीम को कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के इंजीनियरों के विरोध प्रदर्शन के चलते जांच टीम बिना जांच किए ही बैरंग लौटने को मजबूर हो गई। इस घटना ने विभागीय कार्यप्रणाली और जांच व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

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जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश शासन की ओर से मुख्य अभियंता जबलपुर संजय डहरिया एवं मुख्य अभियंता भवन जबलपुर आर.एल. वर्मा शहडोल पहुंचे थे। दोनों अधिकारी लोक निर्माण विभाग द्वारा कराए गए निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच करने आए थे, लेकिन जैसे ही जांच प्रक्रिया शुरू होने वाली थी, पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों ने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और टीम को जांच स्थलों तक जाने से रोक दिया,विरोध का नेतृत्व मध्यप्रदेश डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन द्वारा किया गया, इंजीनियरों का आरोप था कि जांच के नाम पर विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ज्यादती की जा रही है और अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है। 

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इसी के विरोध में इंजीनियर एक दिवसीय हड़ताल पर चले गए और जांच टीम के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए दिलीप विगोनियों, अधीक्षण यंत्री (एसई) लोक निर्माण विभाग शहडोल ने बताया कि शासन के निर्देश पर दो मुख्य अभियंता निर्माण कार्यों की गुणवत्ता जांचने शहडोल आए थे, लेकिन मध्यप्रदेश डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन के विरोध के चलते उन्हें जांच करने नहीं दिया गया। स्थिति को देखते हुए जांच टीम को वापस लौटना पड़ा। 
इस घटनाक्रम से साफ है कि शासन की मंशा और विभागीय असंतोष के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया है। अब देखना यह होगा कि शासन इस मामले में क्या रुख अपनाता है और गुणवत्ता जांच की प्रक्रिया दोबारा कब और कैसे शुरू होती है। फिलहाल, शहडोल में यह मुद्दा प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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