भोपाल/छिंदवाड़ा/इंदौर/खंडवा। केंद्र सरकार की तरफ से गेहूं के निर्यात पर रोक लगने के बाद मध्यप्रदेश में व्यापारियों पर बड़ा असर पड़ा है. मध्य प्रदेश की सबसे अधिक गेहूं की खेप बंदरगाहों पर अटक गई है. बंदरगाहों पर गेहूं से लदे देशभर के 7 हजार ट्रक खड़े हैं. अब प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि जितना भी गेहूं निर्यात होने के लिए बंदरगाह पर पहुंच गया है, उस सभी को केंद्र सरकार की अनुमति लेकर निर्यात की अनुमति दी जाएगी. छिंदवाड़ा में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कृषि मंत्री कमल पटेल ने आरोप लगाया है कि मध्य प्रदेश से जो निर्यात के लिए गेहूं गया था, उसमें से कुल 5 लाख टन गेहूं निर्यात के लिए पहुंचा है. बाकी व्यापारियों ने उस गेहूं को रोक दिया था. जिससे कालाबाजारी की आशंका बढ़ रही थी.
बड़े व्यापारियों के गोदाम भरने रोका निर्यात- कांग्रेस
इस पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि देश के बड़े व्यापारियों के गोदाम भरने के लिए निर्यात रोका गया है. छोटे व्यापारी अब औने-पौने दाम पर गेहूं बेचेंगे. महीनेभर बाद फिर बड़े व्यापारियों के लिए निर्यात खोला जाएगा. किसानों को व्यापरियों को समझ लेना चाहिए. सालभर आंदोलन चलाना पड़ा था. कांग्रेस में युवाओं को प्रमोट करने पर मुखर हुए सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि कांग्रेस में युवाओं को बहुत पहले ही प्रमोट कर दिया जाना चाहिए था. देरी तो हुई है लेकिन अब ठीक है. ठीक समय पर स्वीकार कर लिया गया है.
व्यापारी एसोसिएशन ने मोदी को लिखा पत्र
मध्यप्रदेश के दलहन और तिलहन व्यापारी एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर निर्यात से रोक हटाने की मांग की है. व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल ने बताया कि काडला और मुंबई में 7000 से ज्यादा गेहूं के ट्रक अटके हुए हैं. जिसमें सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश के चार हजार से ज्यादा ट्रक हैं. ऐसे में छोटे व्यापारियों को बड़ा नुकसान भुगतना पड़ रहा है. वहीं ट्रक का प्रतिदिन 4 हज़ार भाड़ा और माल अगर वापस लाते हैं, तो एक लाख का नुकसान व्यापारी को भुगतना पड़ेगा. ऐसे में छोटा व्यापारी बर्बाद होगा.
नीलामी प्रक्रिया में भाग नहीं लेने का ऐलान
इधर खंडवा में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से अनाज व्यापारी नाराज हो गए है. उन्होंने इस फैसले के विरोध में आज मंगलवार और कल बुधवार को कृषि उपज मंडी की नीलामी प्रक्रिया में भाग नहीं लेने का ऐलान कर दिया है. जिसके चलते दो दिन मंडियां बन्द रहेगी. भारत सरकार की तरफ से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगने के बाद गेहूं खरीदने के व्यापारी हड़ताल पर चले गए. खंडवा में भी आज व्यापारियों ने 2 दिन की हड़ताल कर सरकार को आगाह किया है. व्यापारी का कहना है कि उन्होंने निर्यात के कारण अच्छे भाव से गेहूं खरीदा है और उनका खरीदा हुआ माल या तो बंदरगाह पर अटका है या ट्रांसपोर्टिंग के रास्ते में है.
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400 क्विटंल कम मिल रहा गेहूं का भाव
मंडी अधिकारियों ने व्यापारियों की हड़ताल को देखते हुए एक दिन पहले ही किसान संगठनों को मंडी में माल नहीं लाने के संदेश भेजे थे. लेकिन इसके बावजूद कुछ किसान मंडी में गेहूं लेकर आ गए, जो किसान मंडी में अपना गेहूं लेकर आए वह भी परेशान है. किसानों का कहना है कि व्यापारी माल खरीद नहीं रहे हैं, जो छोटे-मोटे व्यापारी हैं. वह भी 400 क्विटंल कम भाव दे रहे हैं. मतलब निर्यात लगने से गेहूं के भाव एकदम 400 क्विंटल कम हो गए हैं. किसानों की दुविधा यह है कि वह भाड़े से ट्रैक्टर ट्राली लेकर आए हैं. अब यदि वापस लेकर जाते हैं, तो भाड़े का खर्चा उन पर भारी पड़ेगा. बेचते हैं तो लगभग 400 कम मिल रहा है. ऐसे में किसान भी परेशान है.
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