बेतिया। बिहार में महागठबंधन और कांग्रेस पार्टी दोनों को करारी हार का सामना करना पड़ा है इस बार राहुल गांधी ने मतदान से पहले बिहार के कई जिलों में वोट अधिकारी यात्रा निकाली थी लेकिन जनता ने इस यात्रा को भी ना कर दिया और सत्ता की चाभी एनडीए को सौंप दी। कांग्रेस को मिली हार के बाद अब संगठन खामियों को ढूंढने में लगा है। शीर्ष नेतृत्व वाली संगठन के नेता कांग्रेस के सभी प्रत्याशियों से हार के कारण जानने में लगे हैं। इस सिलसिले में बिहार के सभी नेता दिल्ली पहुंचकर अपनी-अपनी हार के किस्से संगठन को सुनाएं। गुरुवार को पटना स्थित कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में जब निर्वाचित विधायकों और हारे हुए प्रत्याशियों के साथ समीक्षा बैठक बुलाई गई, तो पहली बार पार्टी नेताओं ने हार की वजहों को खुले तौर पर सामने रखा।
बीजेपी ने चुटकी ली
वहीं इस मामले में बीजेपी ने चुटकी ली है। भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने बिहार चुनाव को लेकर कांग्रेस की बैठक पर कहा बिहार में कांग्रेस पार्टी अब नहीं रही। जिसके नेता को खुद नहीं पता कि वह क्या कह रहा है, क्या कर रहा है, पूरे बिहार में वोट चोरी, SIR जैसे मुद्दे लेकर घूमे जिससे किसी गरीब को कोई दिक्कत नहीं थी। कांग्रेस ऐसे मुद्दे चुनती है जिससे किसी को कोई दिक्कत नहीं होती और बाद में पैसे लेकर टिकट बेच देती है। तो जाहिर है ऐसी पार्टी को समाप्त तो होना ही है।
सबसे बड़ी कमजोरी साबित हुआ
बैठक के दौरान कई नेताओं ने माना कि महागठबंधन में समय पर सीट बंटवारा न होना उनकी सबसे बड़ी कमजोरी साबित हुआ। देर से हुई घोषणाओं ने न सिर्फ तैयारियों को प्रभावित किया बल्कि कई क्षेत्रों में दोस्ताना मुकाबले ने वोट का बड़ा हिस्सा खो दिया। अररिया से विधायक आबिदुर रहमान ने बताया कि 10-11 सीटों पर यह स्थिति बनी, जिससे जनता में गलत संदेश गया और उनके उम्मीदवारों का नुकसान हुआ।
योजना ने बदला समीकरण
नेताओं ने यह भी स्वीकार किया कि नीतीश सरकार द्वारा महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपये भेजने की घोषणा ने चुनावी मैदान में कांग्रेस की रणनीति को कमजोर कर दिया। कई क्षेत्रों में यह फैसला सीधे मतदाताओं को प्रभावित करता दिखा और कांग्रेस अपने मुद्दे उन तक पहुंचाने में पीछे रह गई।
नोकझोंक की चर्चा भी रही केंद्र में
बैठक के दौरान एक उम्मीदवार और सांसद पप्पू यादव के एक समर्थक नेता के बीच कहासुनी की खबर भी सामने आई, जिसे पप्पू यादव ने बाद में झूठ बताया। वहीं कई नेताओं ने पुराने और नए कांग्रेस नेताओं के बीच बढ़ती खींचतान का भी जिक्र किया जो चुनावी जमीन पर भ्रम को और बढ़ा गया।
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