ओडिशा में कांग्रेस विधायकों ने 21 सितंबर को होने वाले ओडिशा विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए निर्धारित चुनाव का बहिष्कार करने की घोषणा की है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता नरसिंह मिश्र ने कहा कि पश्चिम ओडिशा का सबसे बड़ा त्योहार नुआखाई दो दिनों तक मनाया जाता है. ‘नुआखाई’ 20 सितंबर को मनाया जाने वाला है और ‘नुआखाई भेटघाट’ 21 सितंबर को मनाया जाएगा. लेकिन दुर्भाग्य से मुख्यमंत्री ने 21 सितंबर को विधानसभा बुलाई है.

कांग्रेस ने कहा कि ‘ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि ओडिशा सरकार ने अध्यक्ष चुनाव के लिए त्योहार के दिन ही विधानसभा सत्र बुलाया है.’ मिश्र ने आरोप लगाया है कि विरोध के बावजूद मुख्यमंत्री ने लोगों की बात नहीं सुनी और यह पश्चिम ओडिशा के प्रति सौतेला रवैया है.

मिश्रा ने आगे कहा कि पश्चिम ओडिशा के लोगों से राज्य सरकार के इस तरह के सौतेले व्यवहार के खिलाफ खड़े होने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि नुआखाई लोगों की भावनाओं में गहराई से रची-बसी है. इसलिए हमने यह फैसला किया है कि कांग्रेस का कोई भी व्यक्ति स्पीकर की चुनाव प्रक्रिया में भाग नहीं लेगा.

बता दें कि 12 मई को बिक्रम केशरी आरुख के इस्तीफे के बाद से खाली पड़े ओडिशा विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 21 सितंबर को निर्धारित किया गया है. इस मामले पर टिप्पणी करते हुए बिजद के मंत्री राजेंद्र ढोलकिया ने कहा कि ‘ये संसदीय कार्य विभाग का मामला है और संबंधित मंत्री ने इसे सीएम के संज्ञान में लाया होगा. मेरी ओर से इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है.’

मिश्रा द्वारा लगाए गए पश्चिम ओडिशा के प्रति सौतेले व्यवहार के आरोपों का खंडन करते हुए ढोलकिया ने कहा कि सीएम नवीन पटनायक ने हमेशा पश्चिम ओडिशा को महत्व दिया है. कालाहांडी और बोलांगीर में मेडिकल कॉलेज या वहां हुए विकास कार्य जैसे कई उदाहरण हैं जो बताते हैं कि आरोप उचित नहीं हैं.

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