महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही चुनावी गतिविधियां तेज हो गई हैं. कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ पर्यवेक्षकों को इन राज्यों में तैनात कर दिया है, जिससे आलाकमान ने अपने रणनीतिकारों और नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि हरियाणा की गलती नहीं होगी और चुनावों में कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती एकजुटता के साथ चुनाव लड़ना है.
इंडिया अलायंस के दलों के लिए भी यह चुनाव एक बड़ा परीक्षण है क्योंकि कांग्रेस ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है, इसलिए कांग्रेस पर सीट शेयरिंग को लेकर बड़ा दबाव डाला जाएगा. लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बहुमत सेदूर रखने में सफल होने के बाद, कांग्रेस ने इन दो राज्यों के विधानसभा चुनावों में पूरे भरोसे से कदम रखा था. लेकिन उम्मीदों के विपरीत हुआ; एमवीए गठबंधन ने महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था, जो कांग्रेस को कई स्तरों पर चुनौती देता है.
महाराष्ट्र में अपने अच्छे प्रदर्शन के बाद कांग्रेस ने अधिक सीटों पर ध्यान केंद्रित किया है. एनसीपी-शरद पवार और शिवसेना यूबीटी हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद मोलतोल के लिए तैयार दिख रहे हैं, लेकिन इन दलों पर भी भाजपा को हराने के लिए महाराष्ट्र में कांग्रेस की शक्ति की अनदेखी नहीं कर सकते.
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी मिलकर भाजपा से पीछे थे, लेकिन इस बार शिवसेना उद्धव गुट के साथ आने से इंडिया गठबंधन की ताकत बढ़ी हुई नजर आ रही है, जबकि एनसीपी को विभाजित करने का दबाव भी है.
CM चेहरे को लेकर बड़ी उलझन
मुख्य चिंता सीएम के चेहरे को लेकर है. शिवसेना यूबीटी चाहती है कि उद्धव ठाकरे को ही सीएम पद का उम्मीदवार बनाया जाए, लेकिन कांग्रेस इस पर सहमत नहीं दिख रही है. हालांकि, कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन शिवसेना ने उद्धव से सहमत होने का संकेत दिया है.
कांग्रेस ने 17 लोकसभा सीटों में से 13 पर जीत हासिल की थी, शिवसेना यूबीटी ने 21 में से 9 पर जीत हासिल की थी, वहीं शरद पवार की एनसीपी ने 10 में से 8 पर जीत हासिल की थी.
झारखंड चुनाव में जूनियर पार्टनर बनकर रहना होगा कांग्रेस को
कांग्रेस को झारखंड में जेएमएम का जूनियर पार्टनर बनना होगा, लेकिन सीटों का बंटवारा भी महत्वपूर्ण होगा. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 31 में से 43 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन केवल 16 पर जीत हासिल की थी.
जेएमएम का स्ट्राइक रेट चुनाव में बेहतर रहा था, जिसमें गठबंधन में शामिल आरजेडी ने सात सीटों पर चुनाव लड़ा था औरएक सीट जीती थी. इस बार इंडिया गठबंधन का घटक सीपीआई एमएल भी गठबंधन में शामिल होने की इच्छा जाहिर कर रहा है, जिसने पिछली बार 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था औरएक सीट जीती थी, कांग्रेस और जेएमएम दोनों इस बार अधिक सीटों का दावा कर रहे हैं.
कांग्रेस महाराष्ट्र में 110-115 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है पार्टी विधानसभा में 288 में से 110-115 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जबकि 90-95 सीटें शिवसेना यूबीटी और 80-85 सीटें शरद पवार की एनसीपी के लिए छोड़ दी जाएंगी. विपक्ष के लिए एक चुनौती साझा प्रचार अभियान चलाना भी होगा. समाजवादी पार्टी भी चाहती है कि उसे महाराष्ट्र चुनाव में हिस्सेदारी मिले.
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