रायपुर. छत्तीसगढ़ प्रचार-प्रसार में पहुंचे पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल की प्रेसवार्ता करते हुए कहा कि कांग्रेस बहुत पुरानी पार्टी है. छत्तीसगढ़ के वर्करों ने बहुत परेशानी झेली है. छत्तीसगढ़ में आज चुनाव का दौर चल रहा है और वोट डालने का हक़ अगर देश में किसी ने दिया है तो कांग्रेस पार्टी ने दिया है. सब को इसमें समानता का अधिकार मिला है. गरीब से गरीब आदमी और रईस से रईस सभी को एक समान अधिकार दिए गए हैं, लेकिन बीजेपी आज केवल वोट की राजनीति कर रही है. इंडिया को अगर किसी ने न्यूक्लियर पावर बनाया तो कांग्रेस ने बनाया है.
यहां की गरीबी की तुलना पंजाब से
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन में हिन्दुस्तान ने काफी तरक्की की है, अंग्रेजों के जाने के समय 16 यूनिवर्सिटी थी, लेकिन आज 1 हज़ार से भी ज्यादा यूनिवर्सिटी यहां हैं. जो कांग्रेस ने यहां लाए हैं. 369 शहरों के कुछ ही हिस्सों में बिजली थी, लेकिन कांग्रेस के कामों ने आज इसे 6 लाख 40 हज़ार गांव शहर जगमगा रहे हैं. इसके बावजूद आज भाजपाई बोलते हैं कि कांग्रेस ने कुछ काम नहीं किया है. छत्तीसगढ़ में 47 प्रतिशत गरीबी है, वहीं पंजाब में 8 प्रतिशत ही गरीबी बची है.
धर्म पर बांटना चाहती है सरकार
यहां 15 सालों में रमन सरकार सत्ता में हैं जो विकास की बात करते है जहां विकास हुआ ही नही है. भाजपा देश को धर्म, मजहब औऱ जाती में बांटना चाहती है, लेकिन कांग्रेस का नजरिया यही है कि जिस तरह एक माँ के सभी बेटे उनके लिए एक समान होते हैं. उसी तरह भारत माँ के भी ये सभी बेटे हैं जिनको एक समान नजरिये से देखते हैं. कांग्रेस छत्तीसगढ़ के सभी लोगों को आत्म निर्भर बनाना चाहती है. यहां की बेटियों को डिग्रीधारी और नौकरी करते हुए देखना चाहती है.
छत्तीसगढ़ को नहीं मिला असली हक
छत्तीसगढ़ कि मिट्टी में बहुत दम है, यहां रिसोर्सेज की कमी नहीं है, इसके बावजूद भी छत्तीसगढ़ को उसका असली हक़ नहीं मिल रहा है. रमन की घोषणाओं को लेकर कहा कि वो केवल सपने दिखाने का काम करते हैं. उसे पूरा करने पर उनका ध्यान होता ही नहीं है. विधानसभा से जो आंकड़े सामने आए हैं उनके 267 एमओयू करने की बात कही गई थी. जिनमें केवल 5 ही तामील हुई. किसानों के आत्महत्या मामले में छत्तीसगढ़ टॉप पर है. इन सभी की केवल एक अच्छे लीडरशीप की कमी है.
जीएसटी को लेकर घेरा सरकार को
उन्होंने कहा कि जीएसटी लाने के पहले बड़ी-बड़ी बातें कही गई थी. टैक्स भरने वालों की संख्या में इजाफा होगा, टैक्स में इजाफा होगा, लेकिन असलियत में ये हुआ ही नहीं. 90 से 95 हज़ार करोड़ ही आमदनी हो रही है, जबकि दो साल पहले इससे ज्यादा कलेक्शन आता था. आज तक जीएसटी के एक भी रिटर्न नहीं भरे गए हैं. आमदनी का बड़ा सेक्टर पेट्रोलियम को जीएसटी से बाहर रखा गया है, तो ग्रोथ कैसे होगा. 80 हज़ार करोड़ के बजट की बात कहीं गई थी, जबकि काम सिर्फ 60 हज़ार करोड़ का हुआ है.