प्रतीक मिश्रा, बिन्द्रानवागढ़. छत्तीसगढ़ में चुनावी सरगरमी का मौसम अब धीरे-धीरे करीब आ रहा है. प्रदेश के मुख्य दल कांग्रेस और भाजपा सहित दूसरे नए राजनीतिक दल भी इस बार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमाने की कवायद में जुटे हुए हैं. ऐसे में प्रदेश के गरियाबंद जिले की सबसे अहम कहलाने वाले की बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा सीट में कांग्रेस पार्टी से विभिन्न दावेदार निकल कर सामने आ रहे हैं. जिनमें पूर्व विधायक, पूर्व प्रत्याशी एवं युवा नेता के साथ-साथ महिला भी शामिल हैं, लेकिन सर्वाधिक चर्चा दो-तीन नामों की ही है.

जिसमें पूर्व विधायक एवं विगत चुनाव के समय कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे ओंकार शाह भी शामिल हैं, लेकिन ओंकार शाह के पुत्र के बीजेपी में चले जाने एवं 2013 में एन चुनाव के वक़्त पार्टी के जिलाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देकर अपने कर्तव्यों से मुँह मोड़ लिया. जिससे कांग्रेस पार्टी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा और पार्टी को जिले की दोनों सीट से हाथ धोना पड़ गया था. कुल मिलाकर कहें तो ओंकार शाह के जिलाध्यक्ष से इस्तीफा देना तब कांग्रेस को बहुत भारी पड़ा था, लेकिन पार्टी के जिलाध्यक्ष से इस्तीफा देकर हाईकमान पर प्रश्न चिन्ह खड़े करना अब उन्हें अब भारी पड़ रहा है.

2013 के चुनाव में टिकट नहीं मिलने के कारण जिलाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देते हुए कांग्रेस हाईकमान को भी कटघरे में खड़ा कर दिया था. अब उनके पुत्र के भाजपा में चले जाने से उनके प्रतिष्ठा को आघात लगा है साथ ही बिन्द्रानवागढ़ के कार्यकर्ताओं में भी उहापोह की स्थिति निर्मित हो गई है एवं कार्यकतागण पशोपेश में हैं. उनके पुत्र ऋतुराज शाह वर्तमान में भाजपा युवा मोर्चा के संगठन में जिला उपाध्यक्ष के पद पर हैं तथा जिला पंचायत के विगत चुनाव में बतौर भाजपा समर्थित प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरकर बड़े अंतर से चुनाव हारे साथ ही पूरे जिला पंचायत निर्वाचन क्षेत्र में मात्र 750 वोट प्राप्त कर अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए. उस जिला पंचायत चुनाव में खास बात यह रही कि कांग्रेस के पूर्व विधायक एवं पूर्व जिलाध्यक्ष ओंकार शाह ने अपने पुत्र के पक्ष में भाजपा का प्रचार किया था और अंदरखाने से चुनावी कमान भी उनके पास रही है

सत्ता पाने की आपाधापी में कांग्रेस, बीजेपी और जोगी जनता कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सभी बिन्द्रानवागढ़ के रास्ते सत्ता के सिंहासन पर बैठने की कवायद में जुट गई है. टिकट बंटवारे को लेकर हर बार कांग्रेस में सिर फुटौव्वल की स्थिति निर्मित होती रही है. तो कहीं गुटबाजी को लेकर भी विवाद होता रहा है. टिकट नहीं मिलने पर पार्टी से बागी होकर लोग कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने का काम करते रहे हैं.

यही वजह है कि इस बार कांग्रेस ने इस सिर फुटौव्वल से बचने के लिए नया फॉर्मूला तैयार किया है, जिसमें कहा जा रहा है कि इस बार व्यक्ति नहीं बल्कि संगठन चुनाव लड़ेगा. प्रत्याशी चयन का काम बूथ कमेटी से लेकर ब्लॉक कमेटी, जिलाध्यक्ष के द्वारा हाई कमान को भेजी जाने वाली रिपोर्ट के आधार पर होगा. 15 सालों से सत्ता का वनवास भेाग रही कांग्रेस इस बार सत्ता पाने के लिए हर कदम फूंक फूंक कर रखने में जुटी हुई है.