रायपुर। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने धर्मांतरण की प्राप्त शिकायतों पर प्रदेश सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए लिखे गए पत्र के मद्देनज़र प्रदेश की राज्यपाल अनुसुइया उईके के ख़िलाफ़ प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और मंत्री रवींद्र चौबे की टिप्पणी को शर्मनाक और अमर्यादित बताया है. कौशिक ने कहा कि कांग्रेस का समूचा राजनीतिक चरित्र अराजक कथाओं से भरा पड़ा है. वह छत्तीसगढ़ में भी प्रदेश सरकार संवैधानिक मर्यादा को भी तार-तार करने पर उतारू है.
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने हैरत जताई कि इस मुद्दे पर प्रदेश की संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल उईके द्वारा धर्मांतरण को लेकर विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संगठनों से मिल रहीं शिकायतों के आधार प्रदेश सरकार को पत्र लिखे जाने के बाद प्रदेश सरकार और कांग्रेस राज्यपाल पद की गरिमा को ताक पर रखकर उनके विरुद्ध भी अनर्गल बयानबाजी करके विष-वमन करने पर उतारू हो गई है. कौशिक ने कहा कि एक तरफ कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा उत्तरप्रदेश में 40 फ़ीसदी महिलाओं को विधानसभा चुनाव के लिए टिकट देने की डींगें हाँक रही हैं, जबकि दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में उनकी पार्टी और प्रदेश सरकार महिला राज्यपाल का खुला अपमान कर रही है.
राज्यपाल उईके आदिवासी समाज की हैं, दलितों के हक़ और सुरक्षा के लिए चिंतित रहती हैं. कौशिक ने कहा कि विडम्बना है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भी इसी राजनीतिक चरित्र के धनी हैं और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी उसी राजनीतिक संस्कृति और चरित्र का प्रदर्शन कर रहे हैं. जिसमें उचित सलाह और असहमति की आवाज़ के लिये कोई स्थान नहीं है.
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि आपातकाल थोपकर देश में तानाशाही चलाने वाली कांग्रेस की सोच आज भी वही है. अपने नज़रिए को लेकर एकांगी सोच रखने वाली कांग्रेस के नेता आज भी अपने विरुद्ध उठने वाली असहमति और दी जाने वाली नेक सलाह को लेकर मानसिक असंतुलन से ग्रस्त हो जाती है और सबको दबाने-कुचलने पर आमादा हो जाती है. कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ में चल रहे धर्मांतरण के कुचक्र के विरुद्ध प्रदेश भाजपा ने सरकार को आगाह किया, तो उसे राजनीतिक आरेप बताकर ख़ारिज़ कर दिया.
भाजपा की चेतावनी को नज़रंदाज़ करती प्रदेश सरकार को कम से कम सुकमा के पुलिस अधीक्षक के पत्र पर गौर करना था, जिसमें ज़िले के सभी थाना प्रभारियों को धर्मांतरण के चलते हालात बिगड़ने की प्रबल आशंका बताते हुए अलर्ट किया था, लेकिन प्रदेश सरकार ने उस पर भी संज्ञान नहीं लिया. उन्होंने कहा कि धर्मांतरण के काम में लगे एक पादरी (पाश्चर) ने थाने के बाहर मीडिया से मुख़ातिब होकर सरेआम कहा कि हम धर्मांतरण करते हैं और करते रहेंगे. उक्त पादरी ने भारतीय संविधान तक जला देने की धमकी दी, तब भी कांग्रेस सरकार ने कुछ नहीं किया.
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