अतीश दीपंकर, भागलपुर। भागलपुर के पूर्व विधायक एवं कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त, भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने और मतदाताओं में भरोसा पैदा करने के लिए मतदान प्रक्रिया में ईवीएम की बजाय पेपर अपनाने का आग्रह किया है।
कांग्रेस नेता अजीत शर्मा ने पत्र में लिखा, मैं अजीत शर्मा, 156- भागलपुर विधान सभा क्षेत्र से एक प्रत्याशी के रूप में, भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया पर अपनी चिंता व्यक्त करना चाहता हूं। हाल के वर्षों में, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में कई त्रुटियां और विवाद सामने आए हैं, जो चुनाव की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं। मैं चुनाव आयोग से अनुरोध करता हूं कि इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, बैलेट पेपर प्रणाली को पुनः अपनाने पर विचार किया जाए।
उन्होंने आगे लिखा- पिछले कुछ चुनावों, विशेष रूप से 2024 लोक सभा चुनाव और उसके बाद अभी 2025 में बिहार विधान सभा के चुनाव में ईवीएम से जुड़ी कई शिकायतें दर्ज की गई हैं। मैं 156-भागलपुर विधान सभा क्षेत्र का उदाहरण देना चाहता हूं। भागलपुर विधान सभा क्षेत्र का चुनाव दिनांक 11 नवंबर को हुआ जिसकी मतगणना 14 नवंबर को हुई। मतगणना केंद्र राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज, भागलपुर को बनाया गया था। मतगणना के दौरान प्रत्याशी के रूप में मैं वहां उपस्थित था।
अजीत शर्मा ने लिखा कि, मैंने देखा कि, मतगणना टेबल पर जब कई बूथों के कंट्रोल यूनिट लाए गए तो उसका नंबर और फॉर्म 17ब् में अंकित नंबर में अंतर था। संबंधित काउंटिंग एजेंटों ने इस पर आपत्ति की, जिसके कारण लगभग आधा घंटा मतगणना रुकी रही परंतु फिर जबरन मतगणना करा दी गई। इस उदाहरण से स्पष्ट हो जाता है कि बिहार विधान सभा के चुनाव में मतदान से लेकर मतगणना तक में निष्पक्षता नहीं रही है।
इसी तरह के उदाहरणों के कारण विपक्षी दलों ने ईवीएम में हेरफेर, वोटों की गिनती में असंगति, और सुरक्षा कमियों की बात कही है। कई रिपोर्टों में भी ईवीएम की सुरक्षा पर सवाल उठाए गए हैं, जहां विशेषज्ञों ने संभावित हैकिंग और तकनीकी खामियों का जिक्र किया है। इसके अलावा, 2024 में चुनाव परिणामों के दौरान पोस्टल बैलट की गिनती में प्राथमिकता न देने और वीवीपीएटी स्लिप्स की सत्यापन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी जैसी शिकायतें भी सामने आई हैं।
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा- मेरे सहित लाखों लोगों का मानना है कि बैलट पेपर प्रणाली में, मतदान की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होती है, क्योंकि मतदाता स्वयं अपना वोट देख सकता है और गिनती में कोई तकनीकी हस्तक्षेप नहीं होता। ईवीएम में जहां सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की कमियां संभावित हैं, वहीं बैलट पेपर से चुनाव कराना मतदाताओं का विश्वास बढ़ा सकता है। चुनाव आयोग ने ईवीएम को धोखाधड़ी को कम करने के लिए अपनाया है लेकिन विवादों को देखते हुए, क्या बैलट पेपर पर वापस लौटना उचित नहीं होगा?
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