Salman Khurshid On Bangladesh Violence: कांग्रेस (Congress) नेता सलमान खुर्शीद ने मंगलवार को बांग्लादेश हिंसा पर अपनी मुंह खोली। मुंह खोली भी तो कुछ ऐसा कह दिया कि भारत के लोकतंत्र पर ही सवाल उठा दिया। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने बांग्लादेश के हालात को लेकर कहा कि जैसा वहां हो रहा है, वो देश में भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि यहां चीजें वैसे प्रसारित नहीं हो पाती हैं, जैसे बांग्लादेश में हुईं। हालांकि सब कुछ सामान्य लग सकता है।
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दरअसल पूर्व केंद्रीय मंत्री खुर्शीद शिक्षाविद मुजीबुर रहमान की किताब ‘शिकवा-ए-हिंद: द पॉलिटिकल फ्यूचर ऑफ इंडियन मुस्लिम्स’ की लॉन्चिंग के मौके पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि कश्मीर में सब कुछ सामान्य दिख सकता है. यहां सब कुछ सामान्य लग सकता है। हम जीत का जश्न मना रहे होंगे, हालांकि निश्चित रूप से कुछ लोगों का मानना है कि वह जीत या 2024 की सफलता शायद मामूली थी, शायद अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। पूर्व विदेश मंत्री ने कहा, ”बांग्लादेश में जो हो रहा है वह यहां भी हो सकता है। हमारे देश में इसका प्रसार चीजों को तरीके से फैलने से रोकता है, जिस तरह से बांग्लादेश में फैलाया गया है।
इन वजहों से शाहीन बाग आंदोलन को विफल बताया
साउथ-ईस्ट दिल्ली के शाहीन बाग में महिलाओं के नेतृत्व में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन लगभग 100 दिनों तक जारी रहा और पूरे देश में इसी तरह के प्रदर्शनों को प्रेरित किया। मनोज झा को लगता है कि शाहीन बाग आंदोलन सफल रहा, जबकि सलमान खुर्शीद का विचार था कि आंदोलन विफल रहा क्योंकि विरोध प्रदर्शन का हिस्सा रहे कई लोग अब भी जेल में हैं। खुर्शीद ने यह भी कहा कि आज देश में शाहीन बाग जैसा दूसरा आंदोलन नहीं हो सकता। कांग्रेस नेता ने कहा, “आपको बुरा लगेगा अगर मैंने कहा कि शाहीन बाग विफल हो गया? हम में से बहुत से लोग मानते हैं कि शाहीन बाग सफल हुआ, लेकिन मुझे पता है कि शाहीन बाग से जुड़े लोगों के साथ क्या हो रहा है. उनमें से कितने अभी भी जेल में हैं? उनमें से कितने हो सकते हैं उन्हें जमानत नहीं मिलेगी? उनमें से कितने लोगों के बारे में कहा जा रहा है कि वे इस देश के दुश्मन हैं?
RJD सांसद मनोज झा ने भी खुर्शीद का का अलापा राग
वहीं इस कार्यक्रम में आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ शाहीन बाग आंदोलन के बारे में बात की और कहा कि इसे उचित श्रेय नहीं दिया गया है। झा ने कहा, “शाहीन बाग की सफलता को उसकी उपलब्धियों की भव्यता के पैमाने पर नहीं मापा जाना चाहिए। याद रखें कि शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन क्या था…जब संसद हार गई, तो सड़कें जीवंत हो गईं।
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