नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में लॉकडाउन के दौरान अर्थव्यवस्था पर पड़ रही मार को देखते हुए केंद्र के साथ-साथ यूपी सरकार ने अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते और पेंशनरों की महंगाई राहत पर रोक लगाई है. सरकार के इस कदम को कांग्रेस ने आलोचना करते हुए गैरजरूरी सरकारी खर्चों पर रोक लगाने की बात कही है.

केंद्र सरकार के खिलाफ सबसे ज्यादा तीखा आक्रामण पूर्व प्रधानमंत्री और हाल ही में गठित कांग्रेस सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉ. मनमोहन सिंह की ओर से आया है, जिसमें उन्होंने हमें उन लोगों के साथ खड़े होना है जिनके भत्ते काटे जा रहे हैं. मेरा मानना है कि इस वक्त सरकारी कर्मचारियों और सशस्त्र बलों के लोगों के लिए मुश्किल पैदा करने की जरूरत नहीं थी.

वहीं राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि लाखों करोड़ रुपये की लागत वाली बुलेट ट्रेन परियोजना और सेंट्रल विस्टा सौंदर्यीकरण परियोजना को निलंबित करने के बजाय कोरोना वायरस महामारी से जूझ कर जनता की सेवा कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों, पेंशन भोगियों और देश के जवानों का महंगाई भत्ता काटना सरकार का संवेदनहीन तथा अमानवीय निर्णय है.

वहीं उत्तर प्रदेश सरकार के निर्णय पर प्रियंका वाड्रा गांधी ने सवाल करते हुए ट्वीट किया कि सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता किस तर्क से काटा जा रहा है? जबकि इस दौर में उनपर काम का दबाव कई गुना हो गया है. दिन रात सेवा कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों और पुलिसकर्मियों का भी डीए कटने का क्या औचित्य है? तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को इससे बहुत कष्ट है. पेन्शन पर निर्भर लोगों को यह चोट क्यों मारी जा रही है?

उन्होंने भी डॉ. मनमोहन सिंह, राहुल गांधी की तरह सरकार से अपने खर्चे कम करने को कहा है. उन्होंने कहा कि सरकारें अपनी अनाप-शनाप खर्चे क्यों नहीं बंद करतीं? सरकारी व्यय में 30% कटौती क्यों नहीं घोषित की जाती? सवा लाख करोड़ की बुलेट ट्रेन परियोजना, 20,000 करोड़ की नई संसद भवन परियोजना जैसे गैरजरूरी खर्चों पर रोक क्यों नहीं लगती?