रायपुर. खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत के विधानसभा क्षेत्र सीतापुर में भ्रष्टाचार का ऐसा मामला सामने आया है जिसमें पीड़ित पक्ष खुद कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं. कांग्रेस के जनपद के निर्वाचित पदाधिकारियों ने वहां के सीईओ के खिलाफ दस्तावेज़ों के साथ गंभीर शिकायत मंत्री के पास दर्ज कराई हैं.
कौन है अधिकारी
जिस अधिकारी के खिलाफ कांग्रेस लामबंद है. वो हैं सीतापुर जनपद सीईओ सूरज प्रसाद गुप्ता. सूरज प्रसाद गुप्ता पर सीतापुर जनपद के उपाध्यक्ष शैलेश सिंह ने गंभीर आरोप लगाकर मामले की जांच की मांग की है. मज़ेदार बात है कि कांग्रेस ये कहती आई है कि अधिकारियों पर नकेल कसना उसे एक अनुभवी घुड़सवार की तरह आता है.
क्या है मामला ?
नरवा गरुवा घुरवा और बारी योजना के तहत जनजाति कृषि प्रणालियों का पुनरुद्धार मिलेट, रिज्यूविनेशन, प्रोजेक्ट कार्य के लिए सीतापुर जनपद में 109 आदिवासी हितग्राहियों को मोटे अनाज (मिलेट) की खेती से जोड़ने के लिए 18 लाख रुपये स्वीकृत किये गए.
कांग्रेस के जनपद उपाध्यक्ष शैलेष सिंह ने नगरीय निकाय मंत्री शिव डहरिया को चिट्ठी लिखकर आरोप लगाए हैं कि ये पूरी राशि उन्होंने अपने एक चहेते समाज सेवी संस्था के कर्ताधर्ता के साथ मिलकर बांट ली है. सीईओ ने मिलेट के बीज, खाद और दवाइयों की एक किट बनाकर उसकी खरीदी कर ली. शैलेष का आरोप है कि इसके लिए न किसी अख़बार में विज्ञापन निकला, न ही टेंडर निकाला गया और ना ही कोटेशन बुलवाया गया. स्थानीय जन प्रतिनिधियों को इसकी जानकारी हुई तब तक देर हो चुकी थी. शैलेश ने अपने तीन पन्ने के शिकायती पत्र में 5 बिंदुओं पर सबूतों के साथ इस मामले में गड़बड़झाले का खुलासा किया है.
आरोप है कि निर्देशानुसार कार्य स्वीकृत कराने हेतु वरिष्ठ कृषि अधिकारी द्वारा प्राक्कलन तैयार करना था. लेकिन कृषि विभाग के किसी अधिकारी को सीईओ ने जानकारी तक नहीं होने दी. शैलेष ने ये भी आरोप लगाया है कि जिस किट को एक समाज सेवी संस्था से जो सामान साढ़े सोलह हज़ार में खरीदा है, उसकी कीमत बाज़ार में कुछ सौ रुपये है. अपनी शिकायत के साथ बाज़ार से प्राप्त कोटेशन भी शैलेष ने संलग्न किया है.
जनपद पंचायत सीतापुर जिन 109 हितग्राहियों का चयन किया है. उन सबने चिट्ठी लिखकर बताया है कि उन्हें न दवाई मिली है न ही खाद. इस बारे में सीईओ का कहना है कि पहले जो सूची बनी थी, उसमें सभी एक ही गांव के थे, इसलिए नई सूची के मुताबिक किट वितरित किया जाएगा.
इस मामले में उन्होंने जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ जांच और कार्रवाई की मांग की है. जबकि सूरज प्रसाद गुप्ता ने सारे आरोपों को निराधार बताया है. उन्होंने कहा कि जो नियम हैं, उसका पूरी तरह पालन किया गया है. काम देने से पहले कोटेशन बुलाए गए थे.
इस मामले में जनपद पंचायत अध्यक्ष शांति देवी का कहना है कि इस बात की जानकारी किसी को नहीं हुई. कार्यादेश को रद्द करने के लिए उन्होंने 1 दिसंबर को सीईओ को लिखा लेकिन दो दिन बाद ही समाज सेवी संस्था- ग्रामीण साक्षरता सेवा संस्थान को 10 लाख से ज़्यादा का चेक जारी कर दिया गया.
ग्रामीण सारक्षता सेवा संस्थान के संचालक टीआर बारीक ने कहा है कि इस काम की निविदा निकली थी. हालांकि ये निविदा जनपद में ही निकाली गई थी. इसमें उनका रेट सबसे कम होने की वजह से काम मिला है.