चंडीगढ़. पंजाब में लोकसभा का चुनाव अंतिम चरण में 1 जून को होना है लेकिन क्या अंतिम चरण में होने वाले चुनाव के लिए किसी भी क्षेत्र से उम्मीदवार कांग्रेस ने घोषित नहीं किए है. ये प्रश्न इसलिए उठ रहा है क्योंकि कांग्रेस ने अभी तक पंजाब की 5 सीटों से अभी तक अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं.


पंजाब की 13 सीटें हैं तथा आप के साथ कांग्रेस का पंजाब में गठबंधन नहीं है इसलिए पंजाब में सभी 13 सीटों पर कांग्रेस ने चुनाव लड़ना है. परंतु कांग्रेस ने अभी तक 8 सीटों पर ही अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं तथा कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की कई बैठकें हो जाने के बाद भी शेष 5 सीटों पर कांग्रेस अपने प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है. अभी तक लुधियाना, गुरदासपुर, खडूर साहिब, फिरोजपुर तथा आनन्दपुर साहिब से काग्रेस अपने प्रत्याशियों पर फैसला नहीं कर पाई है. जहां तक गुरदासपुर सीट का प्रश्न है वहां कभी काग्रेस का वर्चस्व रहा है. लंबे समय तक सुखबंस कौर भिंडर ने यहां से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया, फिर प्रताप सिंह बाजवा भी यहां से एमपी रहे तथा बाहर से आकर सुनील जाखड़ ने भी काग्रेस टिकट पर यहां से चुनाव जीता.

भाजपा ने यहां से विनोद खन्ना तथा सन्नी देओल को मैदान से उतार विजय प्राप्त की. हालांकिविनोद खन्ना काम लोगों को पसंद आता रहा लेकिन सन्नी देओल से यहां की जनता निराश तथा नाराज है. इसी लिए उन्हें पार्टी ने टिकट भी नहीं दिया है. लेकिन, इसके बावजूद काग्रेस यहां से अभी तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई है. हालांकि अमरदीप सिंह चीमा तथा कांग्रेस विधायक वरिंदर जीत सिंह पहाडा के भाई यहां से टिकट के दावेदार हैं. लुधियाना से जहां भाजपा ने कांग्रेस छोड़ कर आए रवनीत सिंह बिट्टू को मैदान में उतारा है वहीं पुराने कांग्रेस अभी तक असमंजस में है कि किसे मैदान में उतारा जाए.

यहां से पूर्व विधायक भारत भूषण आशु, पूर्व विधायक संजय तलवाड़ के साथ-साथ गुरदासपुर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा का नाम भी चल रहा है. भारत भूषण आशू को मजबूत प्रत्याशी अवश्य माना जा रहा है लेकिन उन पर चल रहे केसों के चलते पार्टी रिस्क लेने से घबरा रही है. अगर आशु के नाम पर सहमति नहीं बनी तो कांग्रेस यहां से बाहरी उम्मीदवार सुखजिंदर रंधावा को मैदान में उतार सकती है. खडूर साहिब एक ऐसी सीट है जहां कांग्रेसी तथा वर्तमान में विधायक पप्पी पराशर को आम आदमी पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में काग्रेस प्रत्याशी को अपने पुराने मित्रों साथ ही चुनाव लड़ना पड़ेगा .


आनन्दपुर साहिब से जालंधर कैंट से विधायक परगट सिंह तथा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राणा केपी के नाम पर भी विचार चल रहा है. फिरोजपुर से कभी रमिंदर सिंह आमला का नाम लगभग तय माना जा रहा था लेकिन फिर उनके भाजपा में जाने की चर्चा चली तो काग्रेस ने उनके नाम की घोषणा को भी रोक दिया. यही कारण है के फिरोजपुर से भी टिकट की घोषणा नहीं हुई है.