Subhankar Sarkar Became WB Con President: ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के कट्टर विरोधी अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) पर कांग्रेस (Congress) ने आखिरकार चाबुक चला ही दिया है। कांग्रेस ने चौधरी को बंगाल प्रदेश अध्यक्ष (Bengal state president) से हटा दिया है। अधीर रंजन की जगह सुभांकर सरकार पश्चिम बंगाल का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। पार्टी का यह निर्णय पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के पर कतरने जैसा है।
कांग्रेस ने शनिवार को एक अधिसूचना जारी कर बताया कि पूर्व लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी की जगह शुभंकर सरकार पश्चिम बंगाल यूनिट के अध्यक्ष होंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल की एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया, “कांग्रेस अध्यक्ष ने शुभंकर सरकार को तत्काल प्रभाव से पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसमें कहा गया है, “पार्टी निवर्तमान पीसीसी अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के योगदान की सराहना करती है।
बता दें कि बीते दिनों अधीर रंजन चौधरी ने न्यूज एजेंसी से बातचीत के दौरान कहा कि जिस दिन से मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी अध्यक्ष बने है उस दिन से पार्टी के संविधान के मुताबिक, देश में पार्टी के बाकी सभी पद अस्थायी हो गए हैं। यहां तक कि मेरा पद भी अस्थायी हो गया है।
रंजन ने कहा कि जब लोकसभा का चुनाव चल रहा था तब मल्लिकार्जुन खड़गे ने टेलीविजन पर कहा था कि यदि आवश्यक हुआ तो मुझे बाहर रखा जाएगा, जबकि मैंने चुनाव के दौरान पार्टी नेताओं के सामने अपनी राय रखी थी। लेकिन खड़गे के इस तरह के बयान से मुझे दुख हुआ। आपने देखा होगा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के नतीजे भी कांग्रेस के लिए अच्छे नहीं रहे। उन्होंने कहा कि भले ही मैं अस्थायी पार्टी अध्यक्ष था, लेकिन राज्य में मिली हार के बाद यह मेरी जिम्मेदारी थी कि मैं इस हार के लिए खुद को उत्तरदायी मानूं. जिसके बाद मैंने खड़गे जी से कहा था कि अगर संभव हो तो आप मेरी जगह किसी और को दे सकते हैं।
लोकसभा चुनाव में अपनी सीट भी नहीं बचा पाए थे चौधरी
बता दें कि लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी खुद बहरामपुर से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन वह हार गए थे। पश्चिम बंगाल से कांग्रेस को केवल एक ही सीट पर जीत मिली है, जो है मालदा दक्षिण लोकसभा सीट जहां से ईशा खान चौधरी चुनावी मैदान में उतरी थीं। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में इतना खराब रहा की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अधीर रंजन चौधरी ने खुद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। चुनाव के दौरान टीएमसी के साथ गठबंधन न होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण अधीर रंजन चौधरी का विरोध था।
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