रायपुर। राजधानी में आयोजित कांग्रेस के नव संकल्प शिविर में उदयपुर चिंतन शिविर में लिए गए निर्णयों को छत्तीसगढ़ में लागू करने का निर्णय लिया गया. इसके साथ ही शिविर में राहुल गांधी को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव पेश हुआ. संगठन महामंत्री अमरजीत चावला द्वारा रखे गए प्रस्ताव का शिविर में मौजूद सभी लोगों ने हाथ उठाकर समर्थन किया.
बता दें कि उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर में अनेक प्रस्तावों को पारित किया गया था, जिसमें राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन कर मंडल स्तर से लेकर राज्य स्तर तक रिक्त पदों पर नियुक्ति की तारीख और उम्र के साथ, क्षेत्राधिकार और मंडल समितियों का गठन करने, राज्य स्तर पर राजनीतिक मामलों की समिति का गठन करने, 9 अगस्त से प्रत्येक डीसीसी द्वारा 75 किमी लंबी पदयात्रा शुरू करने का निर्णय लिया गया था.
इसके अलावा भारत की आजादी के 75वां वर्षगांठ के समापन समारोह पर 15 अगस्त को राज्य मुख्यालय पर राज्य स्तरीय विशाल कार्यक्रम के अलावा मंडल, प्रखंड, जिला एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी की समय-सीमा बैठक आयोजन करने, जिला स्तरीय कार्यशाला की तिथियों को अंतिम रूप देने का निर्णय लिया गया था. इसके साथ ही 2 अक्टूबर को कश्मीर से शुरू होकर कन्याकुमारी में पार्टी के सभी पदाधिकारियों की उपस्थिति में समापन होने की बात कही गई थी.
उदयपुर घोषणा में कागजी सदस्यता अभियान का डिजिटलीकरण और आगामी संगठनात्मक चुनाव को महत्व दिया गया था. इसके अनुसार प्रखंड, जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर सभी रिक्त पदों भरा जाएगा और जवाबदेही तय की जायेगी. प्रखंड कांग्रेस कमेटियों के अलावा मंडल कांग्रेस कमेटियों का भी गठन किया जाएगा. पार्टी के तीन नए विभाग राष्ट्रीय स्तर पर बनाए जाएंगे, इसमें सार्वजनिक अंतदृष्टि विभाग, राष्ट्रीय प्रशिक्षण संस्थान और एआईसीसी चुनाव प्रबंधन विभाग शामिल है.
इसके अलावा 50 प्रतिशत पदाधिकारी कांग्रेस कार्यसमिति, प्रदेश कांग्रेस में समितियां, जिला कांग्रेस समितियां, प्रखंड कांग्रेस समितियां और मंडल कांग्रेस समितियों की आयु 50 वर्ष से कम हो. वहीं दलितों, आदिवासियों, पिछडा वर्गों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को न्यायसंगत और निष्पक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने, एक पद की अवधि पांच साल के लिए सीमित होगी और एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत का पालन किया जाना चाहिए. यही नहीं एक परिवार, एक टिकट के सिद्धांत को भी सुनिश्चित किया जाए. यदि परिवार का कोई अन्य सदस्य राजनीतिक रूप से सक्रिय है, उन पर एक काल अनुभव के बाद ही टिकट देने का निर्णय लेने की बात कही गई थी.
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