कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद गौरव वल्लभ भाजपा में शामिल हो गए हैं . कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया था. उन्होंने अपने इस्तीफे में कहा था कि वह कांग्रेस पार्टी के अंदर सहज नहीं महसूस कर रहे हैं. उन्होंने खुद को एक सनातनी और शिक्षक बताते हुए कहा था कि वह सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकते हैं और कांग्रेस पार्टी में नए विचारों के लिए अब जगह नहीं है. कांग्रेस पर उन्होंने दिशाहीन पार्टी होने के आरोप लगाए थे. कांग्रेस की तरफ से वल्लभ राष्ट्रीय प्रवक्ता भी थे. वल्लभ के साथ बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा ने भी भाजपा की सदस्यता ली.
महज 2 दिनों के भीतर ही कांग्रेस को तीन राज्यों में तीन बड़े झटके लगे हैं. एक ओर जहां राजस्थान से आने वाले वल्लभ ने और बिहार कांग्रेस के दिग्गज शर्मा ने भाजपा का दामन थामा. वहीं, पार्टी से तनातनी के बीच महाराष्ट्र के नेता संजय निरुपम ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना में शामिल होने की तैयारी में हैं.
गौरव ने लगाया दिशाहीन होने का आरोप
गौरव वल्लभ ने लिखा, ‘पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उससे मैं खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा हूं. मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर को गाली दे सकता हूं. इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे रहा हूं.’
गौरव वल्लभ ने कांग्रेस को लिखे अपने त्याग पत्र लिखा कि कि कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा. उन्होंने कहा कि मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता, मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहा हूं.
गौरव वल्लभ ने पत्र में लिखा कि काफी कुछ कहना चाहता हूं, लिखना चाहता हूं, बताना चाहता हूं. लेकिन, मेरे संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से मना करते हैं जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे. फिर भी में आज अपनी बातों को आपके समक्ष रख रहा हूं. क्योंकि मुझे लगता है कि सच को छुपाना भी अपराध है, और में अपराध का भागी नहीं बनना चाहता. गौरव ने पत्र में लिखा कि मैं वित्त का प्रोफेसर हूं. कांग्रेस पार्टी की सदस्यता हासिल करने के बाद पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया. कई मुद्दों पर पार्टी का पक्ष दमदार तरीके से देश की महान जनता के समक्ष रखा. लेकिन पिछले कुछ दिनों से पार्टी के स्टेंड से असहज महसूस कर रहा हूं. अपने अनुभव को लेकर गौरव ने लिखा कि जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया तब मेरा मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है. जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके आइडिया की क़द्र होती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नये आइडिया वाले युवाओं के साथ ख़ुद को एडजस्ट नहीं कर पाती. उन्होंने आगे लिखा कि पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नये भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है. जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और ना ही मज़बूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही हैं. इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है. वल्लभ ने आगे लिखा कि बड़े नेताओं और ज़मीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है जो कि राजनैतिक रूप से जरूरी है. जब तक एक कार्यकर्ता अपने नेता को डायरेक्ट सुझाव नहीं दे सकता तब तक किसी भी प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है. रामलला के विरोध पर कांग्रेस को कोसते हुए उन्होंने लिखा कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से मैं क्षुब्ध हूं, मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं, पार्टी के इस स्टेंड ने मुझे हमेशा असहज किया, परेशान किया. पार्टी व गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं, और पार्टी का उसपर चुप रहना, उसे मौन स्वीकृति देने जैसा है. इन दिनों पार्टी गलत दिशा में आगे बढ़ रही है. गौरव ने अपने पत्र में कहा कि एक ओर हम जाति आधारित जनगणना की बात करते हैं. वहीं दूसरी ओर संपूर्ण हिंदू समाज के विरोधी नजर आ रहे हैं, यह कार्यशैली जनता के बीच पार्टी को एक ख़ास धर्म विशेष के ही हिमायती होने का भ्रामक संदेश दे रही है. यह कांग्रेस के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है.
संजय निरूपम भी भड़के
संजय निरूपम मुंबई उत्तर पश्चिम सीट से महाविकास अघाड़ी के अमोल कीर्तिकार के उम्मीदवार बनाए जाने से नाराज थे. वह लगातार उन्हें ‘खिचड़ी चोर’ बता रहे थे. उन्होंने कहा था कि उन्हें उम्मीद थी कि इस बात पर कांग्रेस संज्ञान लेगी. साथ ही उन्होंने भी कांग्रेस को दिशाहीन करार दे दिया था और कहा था कि पार्टी में कोई भी संगठनात्मक शक्ति नहीं है.निरुपम ने कहा था कि कांग्रेस में 5 पावर सेंटर हैं. उन्होंने कहा, ‘सभी पांचों सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और केसी वेणुगोपाल की अपनी लॉबियां हैं और आपस में टकराते रहते हैं.’
उन्होंने मुंबई उत्तर पश्चिम सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘मैं चुनाव लड़ूंगा. मैं यहां से चुनाव लड़ूंगा. मैं यहां से जीतूंगा. जो लोग शोक संदेश लिखना चाह रहे थे, मैं उन्हें निराश कर दूंगा. मैं नवरात्री के बाद अपने भविष्य को लेकर कोई फैसला लूंगा.’ खबरें हैं कि कांग्रेस ने निरुपम को स्टार प्रचारकों की सूची से भी हटा दिया है.