शिखिल ब्यौहार, भोपाल। धर्म जागरण, सनातन रक्षा, एक हैं तो सेफ हैं, कटेंगे तो बटेंगे, गजवा-ए-हिंद, अजमेर विवादित दरगाह मामला.. ऐसे तमाम मुद्दे हैं जिससे देश की राजनीति में उबाल है। इस बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत के हाल ही में दिए बयान से मजहबी सियासत को नई और बड़ी बहस मिल गई है।
3 बच्चों के बयान पर सियासी पारा हाई
दरअसल, एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कम से कम तीन बच्चे करने की बात कही। इस बयान को लेकर सियासी पारा भी चढ़ता नजर आ रहा है। कांग्रेस ने कहा कि अगर आरएसएस का यही एजेंडा है तो सबसे पहले संघ परिवार पर लागू होना चाहिए। उधर, बीजेपी ने एक धर्म विशेष की दोगुनी होने के बाद भी लगातार बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर इस बयान को गंभीर माना।
बढ़ती आबादी से देश के बदतर हालात, RSS तीन बच्चों के फार्मूले पर खुद करे अमल- कांग्रेस
मोहन भागवत के बयान पर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता स्वदेश शर्मा ने कहा, “बढ़ती हुई आबादी से देश के हालात बद से बदतर हो गए हैं। सरकार रोजगार दे नहीं पा रही हैं। पढ़े-लिखे लोग पकोड़े तलने को मजबूर हैं। आर्थिक संकट चरम पर है। बिगड़ी अर्थव्यवस्था से महंगाई चरम पर है। आरएसएस को मुद्दों पर बात करनी चाहिए। भागवत ने शादी नहीं की और आरएसएस के पूर्णकालिक पदाधिकारी खुद भी दांप्तय जीवन से दूर रहते हैं। लिहाजा पहले आरएसएस यह फार्मूला संघ के सभी पदाधिकारियों को लागू कराएं। उन्होंने यह भी कहा कि यह बयान ही नहीं बल्कि आरएसएस देश लिए खतरे से कम नहीं है। बचकाने बयान से देश की बेवकूफ बनाने की कोशिश की जा रही है। आरएसएस को चाहिए कि बीजेपी शासित राज्यों में मुद्दों और विकास राजनीति कराएं।
08 से 16 प्रतिशत हो गई अल्पसंख्यकों की जनसंख्या, यह भी जनसंख्या जिहाद – बीजेपी
मोहन भागवत के बयान पर बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा, “देश में एक अलग तरीके का जिहाद सालों से जारी है। एक धर्म विशेष की जनसंख्या जिहाद के कारण 08 से 16 फीसदी पहुंच गई, जो लगातार बढ़ती जा रही है। यह निश्चित ही गहन मंथन का विषय है। ऐसे में सभी सामाजिक समेत अन्य संगठनों के जागरूक प्रतिनिधियों की चिंता भी सामने आ रही है। संघ प्रमुख ने अपनी चिंता व्यक्त की है। यह भी कि कोई वर्ग केवल और केवल जनसंख्या इसलिए बढ़ाने की कोशिश करें ताकि उनका अधिकार बढ़ सके, अपना कब्जा बढ़ सकें, एक धर्म विशेष के प्रति ताकत जनसंख्या से दोगुनी की जाए तो अभी से सतर्क होना चाहिए।”
मोहन भागवत के इस बयान से शुरू हुई सियासत
नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा था, “जनसंख्या में गिरावट चिंता का विषय है। जब किसी समाज की जनसंख्या 2.1 से नीचे चली जाती है तो वह समाज पृथ्वी से खत्म हो जाता है। कोई संकट न होने पर भी वह समाज नष्ट हो जाता है। उस प्रकार अनेक भाषाएं और समाज नष्ट हो गये। हमारे देश की जनसंख्या नीति 1998 या 2002 में तय की गई थी। लेकिन इसमें यह भी कहा गया है कि किसी समाज की जनसंख्या 2.1 से कम नहीं होनी चाहिए। अब पाइंट वन तो इन्सान जन्म नहीं ले सकता। इसलिये हमें दो से ज्यादा तीन की जरूरत है। यही जनसंख्या विज्ञान कहता है। फिर भागवत ने ये भी कहा था कि तीन तो होने ही चाहिए। यह संख्या महत्वपूर्ण है, क्योंकि समाज का बने रहना जरूरी है।
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