विक्रम मिश्र, लखनऊ. कहते हैं कि उत्तर प्रदेश से होकर ही दिल्ली का रास्ता जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि लोकसभा की सबसे ज़्यादा 80 सीट और विधानसभा का आकार (403 सीट) भी बड़ा है. इस बात को सभी सियासी दल अच्छी तरह से समझते भी हैं. यही कारण है कि अब कांग्रेस अपनी सियासी जमीन को पुनर्जीवित करने के लिए हर तरह के जतन कर रही है.
समाजिक न्याय यात्रा को धार देने के लिए कांग्रेस अब अपनी रणनीति को आगे बढ़ाने पर जोर लगा रही है. जिसके लिए अब उसे दक्षिण भारत के बड़े नेता स्टालिन का साथ भी मिलने लगा है. 29 सितम्बर को राजधानी लखनऊ के कैसरबाग स्थित गांधी भवन में सामाजिक न्याय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. जिसमें राहुल गांधी के एजेंडे को कांग्रेस आगे बढ़ाएगी. इस कार्यक्रम में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया है. बता दे कि स्टालिन अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. कभी मंदिर तो कभी सनातन पर दिए गए बयान हमेशा ही चर्चा का विषय बनते हैं.
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उत्तर को दक्षिण का साथ, अब बनेगी बात
आपको याद होगा कि आस्था के प्रमुख केंद्र अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और विश्वनाथ कॉरिडोर वाराणसी के बाद से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दक्षिण समागम का कार्यक्रम करवाया था. जिसका फायदा भी लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन को मिला था. यही कारण रहा कि यूपी में सीट कम होने के बावजूद बाकी दक्षिण के राज्यो में भाजपा गठबंधन को बढ़त मिली थी और तीसरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नरेंद्र मोदी की ताजपोशी हुई थी. अब इसी हथियार को कांग्रेस आजमाने जा रही है. कांग्रेस भी राहुल गांधी के सामाजिक न्याय सम्मेलन में अब तमिलनाडु के नेता के जरिए यूपी के दलितों के साथ दक्षिण भारत के भी गरीब गुरबों को अपने बैनर के नीचे खड़ा करने की कोशिश कर रही है.
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