Congress performance In Delhi Assembly Election: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं। आप (AAP) को हराने के बाद देश की राजधानी दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी (BJP) की सत्ता में वापसी हुई है। बीजेपी ने 70 सदस्यीय विधानसभा में 48 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल किया है। इस चुनाव की खास बात यह है कि भाजपा की आंधी में देश की सबसे पुरानी पार्टी और एक समय दिल्लीवासियों की पसंद रही कांग्रेस (Congress) का पूरी तरह से सूपड़ा साफ हो गया। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 70 में से 67 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। वह 70 सदस्यीय विधानसभा में लगातार तीसरी बार अपना खाता खोलने में नाकाम रही है। कई प्रमुख नेताओं को करारी हार का सामना करना पड़ा। उसकी स्थिति तो ऐसी हो गई कि वह वोटकटवा पार्टी बनने के लायक भी नहीं रह पाई।

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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस पार्टी के 70 में से 67 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। केवल तीन उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में सफल रहे। जमानत जब्त होने का अर्थ है कि उम्मीदवार को कुल वैध मतों का एक निश्चित प्रतिशत (आमतौर पर 16.67%) प्राप्त नहीं हुआ, जिसके परिणामस्वरूप उनकी जमानत राशि जब्त कर ली जाती है। कांग्रेस के सिर्फ तीन उम्मीदवार कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त. नांगलोई जाट से रोहित चौधरी और बादली से देवेंद्र यादव अपनी जमानत बचाने में सफल रहे। यहां की कद्दावर नेता संदीप दीक्षित और अलका लांबा भी अपनी जमानत नहीं बचा सकीं।

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बता दें कि कांग्रेस को पिछले डेढ़ दशक से राष्ट्रीय राजधानी में अपनी प्रासंगिकता खोजने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ा है। 2013 में आम आदमी पार्टी के उभार के साथ दिल्ली में कांग्रेस का पतन शुरू हुआ था, जो अनवरत जारी है। यही वह साल था जब दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस की सीटों की संख्या 43 से घटकर 8 पर आ गई और उसके वोट शेयर में 15 फीसदी की गिरावट आई। अगले दो चुनावों- 2015 और 2020 में कांग्रेस 0 पर सिमट गई और उसका वोट शेयर 10 फीसदी से नीचे आ गया।

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दिल्ली में कांग्रेस के पास कोई चेहरा नहीं

दिल्ली में प्रतिनिधित्व करने के लिए कोई मजबूत नेता न होना कांग्रेस के लिए बहुत महंगा साबित हुआ है। शीला दीक्षित के बाद, कांग्रेस दिल्ली में कोई ऐसा चेहरा खोजने के लिए संघर्ष कर रही है, जो अरविंद केजरीवाल को मुकाबला दे सके। कांग्रेस ने दिल्ली चुनाव 2025 के लिए मुख्यमंत्री उम्मीदवार की भी घोषणा नहीं की थी।

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दिल्ली में अपने कार्यों को नहीं गिना पाना

इसमें कोई दो राय नहीं कि 1998 से 2013 तक जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं तब दिल्ली में बड़े पैमाने पर कार्य हुए। उन्होंने दिल्ली में मेट्रो नेटवर्क का तेजी से विस्तार किया और बड़े पैमाने पर सड़कें और फ्लाईओवर बनवाए। नए अस्पताल और शैक्षणिक संस्थान की नींव रखी। दिल्ली महिला आयोग की स्थापना की और महिलाओं के लिए 181 हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किया। उन्होंने दिल्ली के पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ग्रीन रिफॉर्म्स की भी सफलतापूर्वक शुरुआत की, जिससे डीटीसी की पूरी फ्लीट पेट्रोल और डीजल से सीएनजी पर शिफ्ट हुई, लेकिन, कांग्रेस अपनी सरकार के इन कार्यों को दिल्ली में शोकेस करने में पूरी तरह विफल रही है।

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इन प्रमुख सीटों का हाल भी जानिए

  1. आदर्श नगर विधानसभा सीट: आदर्श नगर विधानसभा सीट पर भाजपा के राजकुमार भाटिया को 52,510 वोट, आम आदमी पार्टी के मुकेश गोयल को 41,028 वोट और कांग्रेस के शिवांक सिंघल को 5,460 वोट मिले। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के अनुसार, कांग्रेस के उम्मीदवार शिवांक सिंघल को कुल वैध मतों का लगभग 6.5% प्राप्त हुआ, जो आवश्यक 16.67% से कम है, जिसके कारण उनकी जमानत जब्त हो गई. पिछले चुनावों में 2015 और 2020 में, इस सीट पर आम आदमी पार्टी का कब्जा था। हालांकि, इस बार भाजपा के राजकुमार भाटिया ने जीत हासिल की. 2020 के चुनाव में आप के पवन शर्मा ने भाजपा के राजकुमार भाटिया को हराया था। इस बार, आप ने पवन शर्मा का टिकट काटकर मुकेश गोयल को उम्मीदवार बनाया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।

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  • अंबेडकर नगर विधानसभा सीट: अंबेडकर सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार डॉ अजय दत्त को 46,285 वोट, भाजपा के खुशी राम चुनार को 42,055 और कांग्रेस के जय प्रकाश को 7,172 वोट मिले. निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के अनुसार, कांग्रेस के उम्मीदवार जय प्रकाश को कुल वैध मतों का लगभग 8.5% प्राप्त हुआ, जो आवश्यक 16.67% से कम है, जिसके कारण उनकी जमानत जब्त हो गई। पिछले चुनावों में, 1993 से 2008 तक इस सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व रहा, जहां चौधरी प्रेम सिंह ने लगातार चार बार जीत हासिल की। 2013 में आम आदमी पार्टी की एंट्री के बाद, राजनीतिक समीकरण बदले और तब से यह सीट आप के कब्जे में है। 2025 के चुनाव में भी आप के डॉ अजय दत्त ने इस सीट पर अपनी जीत बरकरार रखी।

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  • बाबरपुर विधानसभा सीट: बाबरपुर विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी के गोपाल राय को 76,192 वोट, भाजपा के अनिल कुमार वशिष्ठ को 57,198 वोट और कांग्रेस के मोहम्मद इशराक खान को 8,797 वोट मिले. निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के अनुसार, कांग्रेस के उम्मीदवार मोहम्मद इशराक खान को कुल वैध मतों का लगभग 6.5% प्राप्त हुआ, जो आवश्यक 16.67% से कम है, जिसके कारण उनकी जमानत जब्त हो गई। पिछले चुनावों में, 2015 और 2020 में, इस सीट पर आम आदमी पार्टी के गोपाल राय ने जीत हासिल की थी।

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कांग्रेस ने बिगाड़ा आप का खेल

कांग्रेस के वोट शेयर में मामूली सुधार ने आप आदमी पार्टी को भारी नुकसान पहुंचाया है। कांग्रेस आप के लिए खेल बिगाड़ने में कामयाब रही, जिसे अनुसूचित जाति और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भारी नुकसान उठाना पड़ा, जहां कांग्रेस ने आप की कीमत पर मामूली बढ़त हासिल की और भाजपा को फायदा हुआ। चुनाव में आप के वोट शेयर में 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। आम आदमी पार्टी को 43.19 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि 2020 के चुनाव में 53.6 प्रतिशत वोट शेयर मिला था। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वोट शेयर में 2.1 प्रतिशत का सुधार हुआ है, लेकिन ये वोट शेयर सीट में तब्दील नहीं हो पाया। पार्टी को 2020 के विधानसभा चुनावों में 4.3 प्रतिशत के मुकाबले 2025 के चुनाव में 6.39 प्रतिशत वैध वोट मिले हैं।

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साल 2008 में कांग्रेस का वोट शेयर 40.31 प्रतिशत (पिछली बार जब कांग्रेस ने दिल्ली में सरकार बनाई थी) था। कांग्रेस का ये प्रतिशत साल 2013 में गिरकर 24.55 प्रतिशत पहुंच गया, 2015 में 9.7 प्रतिशत और 2020 में 4.3 प्रतिशत पर पहुंच गया था।वहीं, AAP ने कांग्रेस के वोट शेयर में सेंध लगाकर 2013 में 29.6 प्रतिशत, 2015 में 54.6 प्रतिशत और 2020 में 53.6 प्रतिशत वोट हासिल किया था।

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