रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में इस बार कांग्रेस ब्राम्हणविहीन हो गई है. छत्तीसगढ़ के गठन के बाद पहली बार होगा, जब विधानसभा में एक भी कांग्रेस से ब्राह्मण समाज का कोई विधायक नहीं होगा. वहीं सत्ता में फिर लौटी भाजपा के 3 ब्राह्मण विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. यही नहीं इस बार विधानसभा में कोई अल्पसंख्यक विधायक भी नहीं होगा.
2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 8 ब्राह्मण समाज के प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा था. रायपुर ग्रामीण से इस बार सत्यनारायण शर्मा की जगह उनके बेटे पंकज शर्मा, रायपुर पश्चिम से विकास उपाध्याय, रायपुर दक्षिण से महंत रामसुंदर दास, गरियाबंद जिले के राजिम विस से अमितेश शुक्ल, दुर्ग शहर से अरुण वोरा, बेमेतरा जिले के साजा सीट से रविंद्र चौबे, बिलासपुर से शैलेष पांडेय और बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के बलौदाबाजार सीट से शैलेष नितिन त्रिवेदी चुनावी मैदान में थे. इन सभी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा.
वहीं बीजेपी ने 5 प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें 3 जीते और 2 हार गए. भारतीय जनता पार्टी ने रायपुर जिले के धरसींवा सीट से अनुज शर्मा, बेलतरा सीट से सुशांत शुक्ला, रायपुर उत्तर से पुरंदर मिश्रा, भाटापारा से शिवरतन शर्मा और भिलाई नगर से पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय चुनावी मैदान में थे. इनमें अनुज शर्मा, सुशांत शुक्ला और पुरंदर मिश्रा तो जीत गए, लेकिन प्रेमप्रकाश पांडेय और शिवरतन शर्मा चुनाव हार गए.
छत्तीसगढ़ में राजनीतिक पार्टियां जाति का समीकरण बिठाकर ही अपने प्रत्याशी तय करती रही हैं. कुल 90 विधानसभा सीटों में से 39 रिजर्व हैं, 29 एसटी और 10 एससी वर्ग के लिए. 51 सीटें सामान्य हैं. प्रदेश की आधी सीटों पर सबसे ज्यादा प्रभाव ओबीसी का है. चूंकि, 47 प्रतिशत आबादी ओबीसी है, इसलिए एक-चौथाई विधायक इसी वर्ग से आते हैं. इस बार दोनों दलों को मिलाकर 35 विधायक ओबीसी वर्ग से जीते है.