रायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के तीन साल पूरे होने पर सरकार के मंत्री देशभर में अपनी उपलब्धियों का बखान करने की तैयारी रहे हैं, ठीक उससे पहले कांग्रेस ने सरकार के आकंड़ों के सहारे हकीकत उजागर करने की रणनीति बनाई है। इसी रणनीति के तहत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम ने रायपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोदी-रमन सरकार को घेरने की कोशिश की।
संजय निरुपम ने कहा- आगामी 26 मई से सरकार की सफलता के जश्न मनाने की तैयारी में हैं। उस वक़्त कांग्रेस सरकार के ही आंकड़ो के आधार पर मोदी सरकार का कार्यकाल कैसा था? कैसी उपलब्धि रही? किन मोर्चों के बीच सरकार फेल रही है? इसे लेकर अलग-अलग राज्यों के प्रमुख शहरों में प्रेस कॉन्फ्रेंस सरकार का असली चेहरा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
3 साल में 3 बेहतर काम भी नहीं किये मोदी सरकार ने। आज भारत मे हर इंसान परेशान नजर आता है। खास तौर मैं किसानों की स्थिति को बता रहा हूँ। मोदी सरकार ने अपने चुनाव के दौरान नारा दिया था, बहुत हुआ किसानों पर अत्याचार, अब की बार मोदी सरकार। लेकिन हकीकत ये है कि किसानों पर आज सबसे ज्यादा अत्याचार हुआ है।
सरकार के आकंड़े ही बताते हैं कि मोदी सरकार का असली चेहरा कैसा है। बहुत हुआ किसानों पर अत्याचार अब की बार मोदी सरकार का नारा दिया गया था। कहा गया था कि किसान तड़पेगा नही । लेकिन सच है कि रोजाना देश मे 35 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ जो किसानों की आत्महत्या के मामले में अछूता था, मोदी सरकार के आने के बाद यहां भी आत्महत्या हो रहे हैं। निरुपम ने कहा- मैं ये नही कहता कि हमारी सरकार के दौरान किसानों ने आत्महत्या नही की, लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद 2014 में आत्महत्या के आकंड़े 12 हजार 307 थी, 2015 में 12 हजार 602 हो गई और 2016 में 14 हजार किसानों ने आत्महत्या की।
ये काल्पनिक आंकड़ें नहीं है बल्कि लोकसभा में तारांकित सवाल के जवाब में सरकार ने कहा है।
संजय निरुपम ने कहा- पिछले उत्तरप्रदेश छोड़ दे तो पिछले तीन सालों में कर्जमाफी के लिए सरकार ने राज्यों की मांगों की अनदेखी की। अकेले महाराष्ट्र में ही 30 हजार करोड़ रुपये की डिमांड है। तमिलनाडु के किसान जंतर मंतर पर तरह तरह के प्रदर्शन करते रहे। ये तब हो रहा है, जब पीएम मोदी की अगुवाई में अलग अलग पूंजीपतियों को एक लाख 54 हजार करोड़ रुपये की कर्जमाफी की। निरुपम ने कहा- उद्योगपतियों को सरकार कर्जमाफी दे सकती है, लेकिन जो अन्नदाता है, उनके लिए एक फूटी कौड़ी भी सरकार ने कर्जमाफी के लिए नही दी।
वित्त मंत्री ने भी साफ कह दिया है कि केंद्र सरकार किसानों की कर्जमाफी में कोई रुचि नही रखती। उन्होंने कहा- किसानों को सरकार ने छोड़ दिया है। मरना है मरो जीना है जियो।
संजय निरुपम ने कहा- मोदी जब चुनाव लड़ रहे थे, तो बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि फसल उगाने के लिए जो लागत लगती है उस लागत में 50 फीसदी न्यूनतम समर्थन मूल्य देंगे। लेकिन सरकार आने के बाद कोर्ट में लगी एक याचिका में मोदी सरकार ने कहा -50 फीसदी समर्थन मूल्य देना संभव नही है। धान के कटोरे को चमकाने वाले किसानों को रमन सरकार ने धोखा दिया।
निरुपम ने कहा- जब यूपीए की सरकार थी तो न्यूनतम समर्थन मूल्य लगभग 15 फीसदी बढ़ाया था। पिछले तीन सालो में महज तीन फीसदी बढ़ाया। 2015-16 में बीजेपी सरकार ने 44 रुपये किलों पर दाल के आयात की अनुमति दे दी। जबकि दालें 230 रुपये प्रति किलों बिकी। 2016-17 में 221 लाख टन बम्पर फसल उत्पादन के बावजूद बीजेपी सरकार ने 44 रुपये प्रति किलों की दर से 54 लाख टन दालों के आयात की अनुमति दे दी। इससे बिचौलियों को फायदा हुआ।
संजय निरुपम ने कहा- फसल बीमा योजना से प्रायवेट कंपनियों को भारी मुनाफा पहुँचाया गया। रबी-खरीफ फसल पर निजी कंपनियों को 20 हजार करोड़ का मुनाफा दिया गया।
निरुपम ने कहा कि मोदी सरकार घोटालों में डूबी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी भ्रष्टाचार में सामने आया है। सहारा की डायरी में उनका नाम मिला है। ये डायरी इनकम टैक्स के पास मौजूद है।
इधर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीसीसी चेयरमेन भूपेश बघेल ने कहा कि – यूपीए सरकार में एक एक दाना धान खरीदी होती थी। बोनस किसानों को दिया जाता था। नरेंद्र मोदी के आदेश के बाद बोनस मिलना बंद हो गया। मुफ्त बिजली की बात थी, कहने को तो सरप्लस स्टेट कहा जाता है लेकिन बिजली कटौती लगातार हो रही है। सिंचाई के नाम पर बने एनीकट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। कमीशनखोरी सार्वजनिक हो गई है। महानदी में छह एनीकट बने है। एक बूंद पानी भी कृषि के लिए नही मिलता। उद्योगों को पानी दिया जा रहा है।
3 साल में किसानों की आत्महत्या के मामले सबसे ज्यादा बढ़े हैं। 2016 में 14 हजार किसानों ने आत्महत्या की है। सबसे ज्यादा आत्महत्या मेरे अपने राज्य महाराष्ट्र के किसानों ने की। महाराष्ट्र में भी भाजपा की सरकार है। छत्तीसगढ़ में भी किसानों की आत्महत्या के मामले बढ़े हैं। यहां भी बीजेपी की 13 साल से सरकार हैं। मतलब ये कि भाजपा शासित राज्यों सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या कर रहे हैं। 1 लाख 54 हजार की कर्ज माफी मोदी सरकार ने उद्योगपतियों को दी। लेकिन किसानों के कर्ज माफ नहीं किये गए। भाजपा के सांसद कहते हैं कि किसानों की आत्महत्या करना फैशन बन गया है। भाजपा के नेता कहते हैं कि किसानों की आत्महत्या करने से कोई फर्क नहीं पड़ता। क्या ये उपलब्धि है मोदी सरकार की?
छत्तीसगढ़ में किसानों के साथ भी जमकर धोखा किया जा रहा है। प्रदेश के टमाटर किसानों की हालत क्या है देखें जा सकते हैं।