विक्रम मिश्र. लखनऊ. नीला रंग आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल संसद में अमित शाह के अंबेडकर को लेकर दिए बयान के बाद सियासत अब तेज हो गई है. क्या सपा और क्या अन्य दल सबके केंद्र में अब सिर्फ नीला रंग ही दिखाई दे रहा है. ऐसे में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का नीले रंग का कपड़ा पहनना अब चर्चा का विषय बन गया है.

बाबा साहेब और नीला रंग में क्या कनेक्शन है?

नीला रंग दलितों का प्रतिरोध और पहचान की निशानी कैसे बन गया, लल्लूराम डॉटकॉम से बातचीत के दौरान अंबेडकर महासभा से जुड़े नेता लालजी निर्मल ने बताया कि अंबेडकरवादियों की मूल पहचान नीले रंग से है. क्योंकि नीला रंग दलितों के प्रतिरोध और पहचान के साथ अस्मिता का विषय है. बाबा साहेब भी इस रंग को अपने ऊपर धारण करते थे. जिससे कि ये हमारी अस्मिता से जुड़ गया. लेकिन बाद में बामसेफ और फिर उससे जन्मी बसपा ने इस रंग को अपने झंडे के साथ अन्य साहित्य में मूल रूप से जोड़ दिया. जिससे कि ज़्यादा संख्या में दलित और अतिपिछड़े वर्ग के लोग इन पार्टी से जुड़ते गए. उन्होंने आगे बताया कि संविधान की कवर को भी देखे तो वहां पर नीला रंग ही दिखाई देगा.

आसमान का रंग ही हमारा बिस्तर है

उन्होंने कहा दलितों का समाज में हमेशा ही अंतिम पायदान रहा है. उनको हमेशा गांव और समाज से बाहर ही रखा गया है. दलित अपनी जीविका चलाने के लिए बसफोड़, मैला सफाई और अन्य प्रकार की सफाई के कार्य करते थे. जिसके कारण उनको हमेशा खुले आसमान के नीचे ही रहना पड़ता था. इसलिए भी ये नीला रंग हमारी पहचान बन गया.