लखनऊ. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पूर्व सांसद उदय प्रताप सिंह की कविता को पोस्ट की है. उनके विचारों को साझा करते हुए लिखा है कि विवेक और आस्था एक साथ नहीं चलते हैं.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर उदय प्रताप सिंह की कविता को शेयर किया है. इस पोस्ट के माध्यम से उन्होंने भाजपा पर निशाना साधा है.

एक साथ नहीं चलते हैं विवेक और आस्था
क्योंकि दोनों का ही अपना अलग है रास्ता
आस्था कल्पना का तर्कविहीन षड्यंत्र है
विवेक यथार्थ के प्रकाश का गायत्री मंत्र है
आस्था हमें ढकोसलों की ओर धकेलती है,
जबकि विवेक की समझ नवीन दरवाजे खोलती है
विवेकवान समाज उन्नति के शिखर छूता है
आस्था की भेड़ों का ईश्वर ही रक्षक होता है
जहां-जहां विवेक है, वहां-वहां खुशहाली है
जहां-जहां आस्था है, वहां-वहां पेट खाली है
सूर्य धरा के गिर्द घूमता था आस्था से डरा डरा
विवेक ने समझाया कि सूर्य स्थिर है और धरा घूमती है
हमें पता है कि कल इस पर अपशब्द उचारे जाएंगे
गैलेलियो की तरह सभी सत्याग्रही मारे जाएंगे
पर जिम्मेदार कलमकार विवेक के समर्थक हैं 
आस्था उवाच के अधिकतर वचन निरर्थक हैं
भ्रमित आस्था की सांसों की अवधि सीमित है
गैलेलियो आज भी विज्ञान में शान से जीवित है
भाजपा में अंतर्कलह आस्था और विवेक की है
यानी कि देश की आम जानता और एक की है

— उदय प्रताप सिंह

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