रामकुमार यादव, सरगुजा। जब रक्षक ही भक्षक बन जाए, तो इंसाफ की उम्मीद कहां से की जाए? ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला सरगुजा जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र के गांधी चौक स्थित ग्राहक सेवा केंद्र से सामने आया है. यहां एक वर्दीधारी पुलिसकर्मी पर मोबाइल चोरी का गंभीर आरोप लगा है और हैरानी की बात ये है कि पूरी घटना CCTV कैमरे में कैद होने के बावजूद अब तक पुलिस की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है.


क्या है मामला
घटना 17 मार्च 2025 की है. पीड़ित राजीव कुमार देवांगन, जो गांधी चौक में ‘चॉइस सेंटर’ नामक ग्राहक सेवा केंद्र संचालित करता है. रोज की तरह राजीव अपने काउंटर पर काम कर रहा था. तभी एक पुलिस आरक्षक केंद्र में पहुंचा और मोबाइल चार्ज करने की बात कही. जब राजीव ने उसे बताया कि उसके पास चार्जर नहीं है, तो वह आरक्षक अपना मोबाइल वहीं छोड़ गया, लेकिन जाते-जाते आरक्षक राजीव का मोबाइल बड़ी चालाकी से उठा ले गया.

करीब 10 मिनट बाद वह फिर लौटा, अपना मोबाइल लिया और बिना किसी चर्चा के चलता बना. कुछ देर बाद जब राजीव को अपने फोन की याद आई, तो उसने खोजबीन शुरू की. जब फोन कहीं नहीं मिला, तो उसने CCTV फुटेज खंगाला. वीडियो देखने के बाद सब कुछ साफ हुआ, जिसमें दिखा की कैसे आरक्षक अपने मोबाइल के बहाने दुकान में आता है और मौका पाकर राजीव का मोबाइल चुपचाप उठाकर जेब में रख लेता है.
पीड़ित राजीव ने बताया कि आरोपी आरक्षक का नाम दुर्गेश कुमार दीक्षित है, जो वर्दी में था. इस पूरी घटना की शिकायत उसने कोतवाली थाने में की, लेकिन पुलिस ने न तो तत्काल एफआईआर दर्ज की और न ही आरोपी का नाम रिपोर्ट में शामिल किया. कुछ दिन बीत जाने के बाद राजीव ने एसपी ऑफिस में इसकी शिकायत की. जिसके बाद 22 मार्च को FIR दर्ज की गई, तो उसमें आरोपी को ‘अज्ञात’ बताया गया.
राजीव का आरोप है कि पुलिस विभाग आरोपी को बचा रहा है. उसका कहना है कि जब CCTV फुटेज, नाम और पहचान सब कुछ दिखा रहा है. तो अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. न कोई जवाब आया, न पुलिस की तरफ से कोई फोन आया, न ही कोई जांच के लिए दुकान पर आया. पहले एक-एक दिन करके कहते रहे कि ‘आज दिलवा देंगे’, ‘कल हो जाएगा’, लेकिन अब एक महीना बीत चुका है. एफआईआर में मेरे कहने के बावजूद आरोपी का नाम नहीं लिखा गया है.
पीड़ित का कहना है कि उसे केवल अपना मोबाइल वापस चाहिए और वह चाहता है कि उसे न्याय मिले, लेकिन जिम्मेदार लोग आरोपी को बचाने में लगे हैं, क्योंकि वह उनके ही विभाग से है.
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