रायपुर। पॉलिसीधारक की मृत्यु के उपरांत उसकी पत्नी द्वारा किए गए बीमा दावा को बीमा कंपनी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसके पति ने बीमा प्रस्ताव पत्र में अपनी पूर्व की बीमारी और ईलाज की गलत जानकारी दी थी. इस पर पत्नी ने उपभोक्ता आयोग का रूख किया था. मामले की सुनवाई के पश्चात राज्य उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को 50 लाख रुपए बीमा दावा के साथ शारीरिक और मानसिक क्षतिपूर्ति और वाद व्यय देने का फैसला सुनाया है.
दरअसल, ग्राम सुरडोंगर, तहसील केशकाल निवासी परिवादिनी सावित्री सलाम के पति की तबीयत खराब होने के बाद 16 जून 2021 को मौत हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने एसबीआई जीवन बीमा कंपनी के समक्ष पति द्वारा ली गई पॉलिसी के अंतर्गत बीमा दावा प्रस्तुत किया था. इसे बीमा कंपनी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसके पति ने बीमा प्रस्ताव पत्र में अपने पूर्व की बीमारी एवं ईलाज के संबंध में गलत जानकारी दी थी. इस पर परिवादिनी ने कांकेर जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया था.

बीमा कंपनी ने आयोग के समक्ष बताया कि बीमा लेने के पूर्व से बीमित मधुमेह एवं हृदय रोग से पीड़ित थे, जो एम्स रायपुर के उनके चिकित्सीय अभिलेख में हिस्ट्री के रूप में टीप की गई थी. इसके आधार पर बीमा दावा को प्रस्ताव पत्र में स्वास्थ्य संबंधी गलत जानकारी देने के आधार पर खारिज किया गया है.
जिला उपभोक्ता आयोग ने शिकायत को स्वीकार करते हुए बीमा कंपनी को आदेशित किया कि वे बीमा दावा का संपूर्ण राशि परिवादिनी को एक महीने के अंदर भुगतान करे. जिसे बीमा कंपनी द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता आयोग के समक्ष चुनौती देते हुए अपील प्रस्तुत की गई.
अपील की सुनवाई के दौरान राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम चौरड़िया एवं सदस्य प्रमोद कुमार वर्मा की पीठ ने यह निर्धारित किया कि मात्र एम्स रायपुर के चिकित्सा अभिलेख में की गई टीप को आधार बनाकर बीमा दावा खारिज किया गया था, और उसके समर्थन में किसी प्रकार का चिकित्सकीय अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया है. इसलिये यह कहना उचित नहीं है कि बीमित ने जानबूझकर उसकी पूर्व बीमारियों के संबंध में कोई महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्ताव में छुपाया था.
इस तरह से बीमा कंपनी की अपील को अस्वीकार करते हुए परिवादिनी को जीवन बीमा दावा राशि के तौर पर 50 लाख रुपए के साथ शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा के लिए क्षतिपूर्ति के तौर पर 10,000 और वाद व्यय के तौर पर 3,000 रुपए देने का आदेश दिया.
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