चंद्रकांत देवांगन, दुर्ग। ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी से मोबाइल मंगाए जाने पर पार्सल में मोबाइल की बजाय टाइल्स के टुकड़े मिले, इस पर जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी इबे इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और उसके सहयोगी व्यावसायिक संस्थान एरोमैक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड तथा कृष्णा सेल्स एजेंसी (जयपुर) पर रु.23900 हर्जाना लगाया है.
क्या है मामला
आपापुरा दुर्ग स्थित कार्यालय में काम करने वाले परिवादी लोकेश कुमार सिंह ने ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी इबे इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से शिओमी कंपनी का रेडमी मोबाइल रु. 12900 में बुक कराया जिसकी डिलीवरी उसे 7 जून 2017 को अपने कार्यालय में मिली. डिलीवरी करने वाले व्यक्ति को रकम भुगतान करने के बाद जब उसने अपने कार्यालय के अन्य कर्मचारियों के सामने पार्सल खोला तो उसमें से मोबाइल के स्थान पर टाइल्स के टुकड़े निकले, जिसकी पूरी तस्वीर कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरे में भी दर्ज हुई, इसके बाद परिवादी लगातार अनावेदक शॉपिंग कंपनी को ई-मेल से शिकायत दर्ज कराता रहा लेकिन उसकी समस्या का कोई समाधान नहीं किया गया.
अनावेदकगण का जवाब
अनावेदक ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी इबे इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और उसके कोरियर पार्टनर की तरफ से प्रकरण में अधिवक्ता उपस्थित हुए परंतु उनके द्वारा प्रकरण में कोई जवाब पेश नहीं किया गया जबकि ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी के सहयोगी संस्थान कृष्णा सेल्स एजेंसीज ने यह दलील दी कि परिवादी और उसके बीच कोई संव्यवहार नहीं हुआ है, उसका परिवादी से उसका कोई सीधा संबंध नहीं है इसलिए परिवादी उसका उपभोक्ता नहीं है.
फोरम का फैसला
प्रकरण में जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने यह माना कि ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी सामान बेचने के लिए व्यवसायियों को प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है। ग्राहक के प्रति सबसे पहली जवाबदारी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी की बनती है क्योंकि ग्राहक को इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि आर्डर किए गए सामान का सप्लायर विक्रेता कौन है। ग्राहक ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी के प्लेटफार्म पर जाकर ही ऑर्डर करता है और उसे ही राशि का भुगतान करता है इसलिए ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी को किसी भी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं माना जा सकता है. ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी की यह जिम्मेदारी बनती थी कि ग्राहक को वास्तविक सामान प्राप्त हो रहा है या नहीं इसे देखे लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी ने अपनी जिम्मेदारी मात्र ऑर्डर बुक करने तक ही सीमित रखी और जब परिवादी को दोषपूर्ण सामान की डिलीवरी हुई तो जिम्मेदारी स्वीकार करने की बजाय उससे विमुख होने का प्रयास किया.