रायपुर. तुलसी का पौधा क्षुप (झाड़ी) के रूप में उगता है और 1 से 3 फुट ऊँचा होता है. इसकी पत्तियां बैंगनी आभा वाली हल्के रोएँ से ढकी होती हैं. पत्तियाँ 1 से 2 इंच लम्बी सुगंधित और अंडाकार या आयताकार होती हैं. पुष्प मंजरी अति कोमल और 8 इंच लम्बी और बहुरंगी छटाओं वाली होती है, जिस पर बैंगनी और गुलाबी आभा वाले बहुत छोटे हृदयाकार पुष्प चक्रों में लगते हैं. बीज चपटे पीतवर्ण के छोटे काले चिह्नों से युक्त अंडाकार होते हैं. नए पौधे मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में उगते है और शीतकाल में फूलते हैं. पौधा सामान्य रूप से दो-तीन वर्षों तक हरा बना रहता है. इसके बाद इसकी वृद्धावस्था आ जाती है. पत्ते कम और छोटे हो जाते हैं और शाखाएँ सूखी दिखाई देती हैं. इस समय उसे हटाकर नया पौधा लगाने की आवश्यकता प्रतीत होती है.

गुणकारी तत्वों से भरपूर तुलसी के पत्तों का उपयोग कई तरह के इलाज में किया जाता है. इसकी एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-वायरल प्रॉपर्टीज इम्यूनिटी सिस्टम के लिए बेहतरीन मानी जाती है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि तुलसी के पत्तों की चाय रोजाना पीने से ना सिर्फ हमारी स्किन में निखार आता है, बल्कि ये एजिंग प्रोसेस की गति को भी धीमा करते हैं. खाली पेट तुलसी के पत्तों का सेवन करने के फायदे आपको बताते हैं.

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मेटाबॉलिज्म- तुलसी के पत्ते हमारे पेट के लिए बड़े फायदेमंद होते हैं और ये बड़ी तेजी से मेटाबॉलिज्म सिस्टम को दुरुस्त करते हैं. इसके अलावा, तुलसी के पत्ते गैस, एसिडिटी या विभिन्न प्रकार के डाइजेशन से जुड़े डिसॉर्डर में भी राहत देते हैं.

बॉडी डिटॉक्सीफिकेशन- तुलसी के पत्तों में बॉडी को डिटॉक्स करने की क्षमता होती है. इसके गुणकारी तत्व शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर करने में बड़े उपयोगी होते हैं.

मुंह के बैक्टीरिया- क्या आप जानते हैं तुलसी के पत्ते मुंह में छिपे बैक्टीरिया का भी जड़ से सफाया कर सकते हैं. इसका सेवन करने के बाद आपको सांसों में ताजगी महसूस होगी.

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खांसी-जुकाम- सर्दी के दिनों में खांसी-जुकाम की समस्या बहुत आम हो जाती है. ऐसी दिक्कत में भी तुलसी के पत्ते शरीर को राहत पहुंचाने का काम करते हैं और बीमारी से लड़ने में मददगार साबित होते हैं.

स्ट्रेस- तनाव यानी स्ट्रेस से जुड़ी समस्या में भी तुलसी के पत्ते कारगर माने जाते हैं. इसके पत्तों में मौजूद एडेप्टोजन मेंटल स्ट्रेस को कम करने के लिए फायदेमंद माना जाता है.