बिलासपुर। ध्वनि प्रदूषण मामले में छत्तीसगढ़ वित्त सचिव एवं अवर सचिव आवास एवं पर्यावरण को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है. ये नोटिस ध्वनि प्रदूषण पर हाईकोर्ट की अवमानना का है.

दरअसल, ध्वनि प्रदूषण मामले में पिछले साल दिसंबर में ध्वनि प्रदूषण पर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने जो निर्देश दिया था. उसका पालन न करने का आरोप लगाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता व्यास मुनि द्विवेदी ने अवमानना की याचिका लगाई थी. जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए इन अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

अपने आदेश में पिछले साल हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि व्यावसायिक वाहनों जैसे छोटा हाथी, पिकअप के ऊपर स्पीकर रखकर बजाना ध्वनि प्रदूषण नियमों के विरुद्ध है.

कोर्ट ने कहा था कि पहली बार व्यवसायिक वाहनों पर स्पीकर रखकर बजाने पर स्पीकर इत्यादि जप्त करने होंगे दितीय बार बजने पर वाहनों का परमिट निरस्त करना होगा. ऐसे वाहनों को पुनः परमिट न्यायालय की आज्ञा के बिना जारी नहीं किया जा सकेगा.

न्यायालय ने कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को इस आदेश के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने कि ज़िम्मेदारी दी थी. कोर्ट ने कहा था कि अगर इस आदेश का पालन नहीं होगा तो इसे अवमानना मानी जाएगी.

याचिकाकर्ता व्यास मुनि ने बताया कि उन्होंने न्यायलय को बताया कि पुलिस ने सिर्फ ऐसे सिर्फ दो वाहनों के विरुद्ध कार्यवाही की है जबकि उन्होंने स्वयं कई रंगीन फोटो सहित न्यायालय के आदेश के उल्लंघन की शिकायत कलेक्टर एवं एसपी को की है.

कोर्ट ने दिसंबर 06 में आदेशित किया था कि राज्य प्रत्येक जिले के लिए 24 ध्वनि मापक यंत्र खरीदें परंतु अवर सचिव आवास एवं पर्यावरण ने सूचना का अधिकार के तहत बताया कि 24 नग ध्वनि मापक यंत्र के प्रस्ताव को वर्ष 2017-18  की बजट चर्चा में सहमति न होने के कारण 2017-18 के बजट में शामिल नहीं किया गया है. इसलिए कोर्ट ने वित्त सचिव एवं अवर सचिव आवास एवं पर्यावरण के विरुद्ध अवमानना नोटिस जारी किया है.