सत्यपाल सिंह,रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर समेत अन्य जिलों में हाईकोर्ट के आदेश का लगातार अवमानना किया जा रहा है. चौंकाने वाली बात यह है कि हाईकोर्ट की तरफ से अवमानना नोटिस जारी होने के बाद भी व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है, बल्कि हालात और बद से बदतर हो गए हैं.
दरअसल डीजे, धूमल और अन्य ध्वनि प्रदूषण रोकने में जिला प्रशासन नाकाम है. गैर जिम्मेदाराना रवैया को देखते हुए छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति ने कोर्ट में पिटीशन दायर किया है. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने गाइडलाइन जारी किया. गाइडलाइन का पालन नहीं करने पर रायपुर कलेक्टर को अवमानना नोटिस जारी हुआ है. उसके बावजूद वर्तमान समय में व्यवस्था में कोई सुधार नहीं है. ध्वनि प्रदूषण से राजधानीवासी परेशान है.
IMA सदस्य और प्रदेश हॉस्पिटल बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर राकेश गुप्ता ने सवाल उठाते हुए कहा कि हाईकोर्ट की अवमानना नोटिस के बाद जिला प्रशासन कुंभकर्णी नींद में है. कोर्ट के आदेश का कोई परवाह नहीं है. खानापूर्ति करने के लिए आदेश जारी किया गया है. उसमें भी कई बड़ी विसंगतियां है, जो आदेश जारी किया गया है उसका ज़रा सा भी पालन नहीं हो रहा है. समस्या यथावत बनी हुई है, लोग अनिद्रा का शिकार हो रहे हैं. बुजुर्ग भारी ध्वनि प्रदूषण से ज़्यादा प्रभावित हैं. ध्वनि प्रदूषण से मौत भी हो चुकी है. देर रात तक डीजे बजाए जा रहे हैं.
अधिकतम 90 डेसीबल सुनने की क्षमता
ईएनटी डॉक्टर राकेश गुप्ता ने कहा कि अधिकतम सुनने की क्षमता 90 डेसीबल है. ज़्यादा देर इस शोर में रहने पर लोग बहरापन और अन्य बीमारी का शिकार हो सकते हैं. राजधानी रायपुर में 200 वॉट डीजे बजाने की अनुमति दी गई है, लेकिन इसका कहीं भी पालन नहीं हो रहा है, न ही जांच हो रही है.
समय सीमा का परवाह नहीं
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम आयोजन के लिए समय निर्धारित किया गया है, उसका बिल्कुल भी पालन नहीं हो रहा है. देर रात तक आयोजन किया जा रहा है. जिससे कई परेशानियां पैदा हो रही है. लोग कई तरह की बीमारी का शिकार हो रहे हैं. जिला प्रशासन ने के कार्यक्रम के लिए 10 बजे तक समय सीमा निर्धारित किया है, लेकिन 2 बजे रात तक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.
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