छत्तीसगढ़ राज्य में खेल और खिलाड़ियों के विकास के लिए साय सरकार ने अनेक प्रभावशाली कदम उठाए हैं. खेल को न केवल मनोरंजन का माध्यम माना जा रहा है, बल्कि इसे युवाओं के कौशल, अनुशासन और करियर निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में प्रोत्साहित किया जा रहा है. जीवन में खेल के महत्व से इनकार नही किया जा सकता खेल भावना इंसानी मन मस्तिष्क पर कैसा धनात्मक प्रभाव छोड़ती है, इसे खूब समझा है छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने और उन्होंने इस दिशा में एक शानदार शुरुआत की है.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बस्तर के प्रतिभावान खिलाड़ियों और खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बस्तर ओलंपिक का अनोखा आयोजन कराया. बस्तर ओलंपिक न केवल छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर क्षेत्र की संस्कृति और परंपराओं को सहेजने का प्रयास कर रहा है बल्कि खेलों के माध्यम से आदिवासी समाज में सामुदायिक भावना को भी बढ़ावा दे रहा है. बस्तर ओलंपिक एक ऐसा मंच बना हुआ है, जहां स्थानीय खेल, रीति-रिवाज और परंपराएं आधुनिक खेल आयोजनों के साथ सामंजस्य बिठा रही हैं. बस्तर ओलंपिक आरम्भ होने के बाद से ही इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, महत्व, खेलों की विविधता, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव और उसके भविष्य की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा के लिए एक बड़ा आकाश खुल गया है. छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ की बागडोर संभालते ही मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राज्य में खेल और खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के प्रयासों को बहुत तेजी गति दी है. विगत दिनों बस्तर के लोगों को खेल गतिविधियों से जोड़ने और प्रोत्साहित करने के लिए बस्तर ओलंपिक-2024 का शानदार आयोजन हुआ. खासतौर पर बस्तर के युवाओं के लिए यह एक शानदार अवसर बना, जिसमें लगभग एक लाख 65 हजार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया.

बस्तर ओलंपिक के आयोजन के माध्यम से क्षेत्र के युवाओं को विभिन्न खेलों में अपनी प्रतिभा को निखारने का मौका मिला. दो साल बाद छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय खेलों के आयोजन किए जाएँगे. इस घोषणा के साथ मुख्यमंत्री ने ये भी ऐलान किया कि ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को तीन करोड़ रुपये, रजत पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को दो करोड़ रुपये और कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को एक करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि दी जाएगी. पिछले माह हुए खेल अलंकरण सम्मान में राज्य सरकार ने 133 खिलाड़ियों को 1 करोड़ 41 लाख रुपये की पुरस्कार राशि से सम्मानित किया.

राजधानी रायपुर में पिछले दिनों हुए पांच दिवसीय अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता संपन्न हुई थी, जिसमें छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी 97 गोल्ड हासिल कर प्रथम स्थान पर रहे. स्मरण रहे वर्ष 2023 में भी हरियाणा में आयोजित अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता आयोजित हुई थी, जिसमें देशभर से 2900 से अधिक खिलाड़ियों ने भाग लिया था. उसमें छत्तीसगढ़ ने प्रथम स्थान प्राप्त किया था. छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में कई आदिवासी समुदाय निवास करते हैं, जिनकी अपनी अनूठी परंपराएं और खेल गतिविधियां हैं आदिवासी संभाग बस्तर में खेल न केवल मनोरंजन के लिए खेले जाते हैं बल्कि इनमें जीवन के संघर्ष, सहनशक्ति और सामाजिक एकता के दर्शन भी होते हैं. बस्तर ओलंपिक के माध्यम से इन पारंपरिक खेलों को संरक्षित करने का प्रयास किया गया है, जो आधुनिक समय में विलुप्त होने की कगार पर आ गए थे. इस महाआयोजन से पारंपरिक खेल गिल्ली-डंडा,फुगड़ी,भंवरा,पिट्ठूल, कबड्डी और खो-खो के अवाला वॉलीबॉल, फुटबॉल, दौड़, और तीरंदाजी जैसे आधुनिक खेल भी शामिल किए गए हैं ताकि स्थानीय युवाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों के प्रति प्रोत्साहित किया जा सके.

बस्तर ओलंपिक के विषय में मुख्यमंत्री साय ने कहा था “खिलाड़ी कभी हारता नहीं है. या तो जीतता है या फिर सीखता है. प्रदेश में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. राज्य में खेलों के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ अधोसंरचना के विकास और खिलाड़ियों के हित में हमारी सरकार द्वारा लगातार कार्य किया जा रहा है और ये सच भी है छतीसगढ़ के आदिवासी अंचलों में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नही है, जैसे छतीसगढ़ के जशपुर की पिछड़ी जनजाति कोरवा समुदाय से आने वाली आकांक्षा रानी ने बीसीसीआई के अंडर 19 टी20 में जगह बनाई है. इसके साथ ही इस ट्रॉफी में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया. आकांक्षा पहले ही छत्तीसगढ़ के लिए अंडर-15 में बीसीसीआई ट्रॉफी खेल चुकी है. राज्य के ऐसे खिलाड़ियों को बस ज़रा सा प्रोत्साहन और सहयोग की ज़रूरत होती है जो बस्तर ओलंपिक के तौर पर मुहैया कराई जा रही है.

बस्तर के बोरावंड गांव के खिलाड़ी जयसिंह और उनके साथियों ने मुख्यमंत्री की पहल पर आयोजित बस्तर ओलंपिक-2024 के विषय में बताया कि “यह आयोजन हमें न केवल अपनी पारंपरिक खेल प्रतिभा दिखाने का मौका दे रहा है बल्कि इसके लिए हमें हर तरह की सुविधाएँ भी दी जा रही हैं. यह कार्यक्रम हमारी संस्कृति और खेल को जीवित रखने का बड़ा प्रयास है. बस्तर ओलंपिक का आयोजन बड़े पैमाने पर होता है. यह आयोजन ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर कई चरणों में आयोजित किया जाता है. चयन प्रक्रिया के तहत प्रत्येक ब्लॉक में विभिन्न खेलों की स्पर्धाएं आयोजित की जाती हैं. इसमें स्थानीय खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं और विजेताओं को जिला स्तर पर खेलने का मौका मिलता है. जिला स्तर पर प्रतिस्पर्धा पहले की तुलना में थोड़ी अधिक होती है और यहां से विजेता राज्य स्तर के खेलों में भाग लेते हैं. राज्य स्तर पर बस्तर ओलंपिक का मुख्य आयोजन होता है, जिसमें हजारों खिलाड़ी दर्शक और अधिकारी शामिल होते हैं. यह आयोजन एक बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसमें खेलों के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम और पारंपरिक नृत्य भी शामिल होते हैं.

पारंपरिक खेलों की लोकप्रियता आधुनिक खेलों की बढ़ती पहुंच के कारण कम हो रही है. इसे संतुलित करने का काम बस्तर ओलंपिक बखूबी कर पा रहा है. इस आयोजन ने महिलाओं को खेलों में भाग लेने का मंच प्रदान किया है. फुगड़ी, खो-खो और कबड्डी जैसे खेलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. इससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है. खेल भावना को पोषित करने वाली छत्तीसगढ़ की साय सरकार राज्य में खेलो इंडिया के तहत 19 करोड़ की लागत से 31 जिलों में खेलो इंडिया सेंटर का निर्माण करने जा रही है. हॉकी, एथलेटिक्स और तीरंदाजी के लिए खेलो इंडिया एक्सीलेंस सेंटर बनाया जा रहा है. नया रायपुर में 62 करोड़ की लागत से मल्टीपरपज इंडोर स्टेडियम और रनिंग ट्रैक के साथ सिंथेटिक फुटबॉल मैदान बनाया जाएगा. कुनकुरी (जशपुर) और रायगढ़ में 105-105 करोड़ में इंटीग्रेटेड स्पोर्ट्स कांप्लेक्स तैयार होगा. 2.79 करोड़ में बलौदा बाजार में फुटबॉल मैदान का निर्माण किया जाना है, 6.49 करोड़ में मुंगेली में स्वीमिंग पुल का निर्माण कार्य की योजना है, 9.76 करोड़ में पंडरीपानी जगदलपुर में सिंथेटिक एस्ट्रोटफ हॉकी मैदान का निर्माण होगा, 5.81 करोड़ में कसडोल में सिंथेटिक फुटबॉल टर्फ मैदान निर्माण और 7.50 करोड़ में नारायणपुर में मल्टीपरपज हाल निर्माण कार्य किया जा रहा है.

इसके अलावा विष्णुदेव साय की सरकार द्वारा खेलों के विकास के लिये निम्नलिखित कार्य किये जा रहें हैं…

  1. खेल बुनियादी ढांचे का विकास

साय सरकार ने खेल सुविधाओं के विस्तार के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खेल परिसरों, स्टेडियमों और प्रशिक्षण केंद्रों का निर्माण किया जा रहा है. छोटे कस्बों और गांवों तक खेल के अवसर पहुंचाने के लिए स्थानीय स्तर पर मैदानों और खेल उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है.

  1. खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता और प्रोत्साहन

राज्य में उभरते खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता और पुरस्कार प्रदान किए जा रहे हैं. उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जा रही है. इसके अलावा, प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए विशेष ट्रेनिंग और वित्तीय मदद उपलब्ध कराई जा रही है.

  1. खेल शिक्षा और प्रशिक्षण

साय सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों में खेल शिक्षा को बढ़ावा दिया है. विशेष कोचों की नियुक्ति और आधुनिक प्रशिक्षण सुविधाओं की स्थापना के साथ खिलाड़ियों को पेशेवर प्रशिक्षण दिया जा रहा है. राज्य स्तर पर खेल एकेडमी स्थापित की गई हैं, जहां खिलाड़ियों को उनके कौशल में निखार लाने का अवसर मिल रहा है.

  1. ग्रामीण और महिला खेलों पर विशेष ध्यान

ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक खेलों को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार ने विशेष प्रयास किए हैं. महिलाओं को खेलों में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अलग से योजनाएं बनाई गई हैं, जिनमें महिला खेल प्रतियोगिताएं और प्रशिक्षण शिविर शामिल हैं.

  1. आयोजन और प्रतियोगिताओं का प्रोत्साहन

साय सरकार द्वारा विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है, जिससे खिलाड़ियों को अपने प्रदर्शन का प्रदर्शन करने का मंच मिलता है. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं राज्य में आयोजित कराई जा रही हैं, जिससे छत्तीसगढ़ खेल मानचित्र पर उभर रहा है.

साय सरकार ने खेल गतिविधियों को प्राथमिकता देकर न केवल खिलाड़ियों को प्रेरित किया है, बल्कि राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी योगदान दिया है. सरकार का यह दृष्टिकोण छत्तीसगढ़ को खेल के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर ले जाने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है.