हेमंत शर्मा, इंदौर। इंदौर जिस शहर को स्वच्छता में नंबर वन कहा जाता है, अब वहीं से एक नया ‘सोने का घर चर्चा में है। शहर के हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी के मालिक अनुप अग्रवाल का ‘सोने का घर’ इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल है। वीडियो में अनुप खुद कहते नजर आ रहे हैं कि 24 कैरेट गोल्ड है।” लेकिन जब लोगों ने सवाल उठाए, तो उन्होंने अखबारों में पलटी मारते हुए कह दिया – “हमने तो कभी नहीं कहा कि घर में असली सोना है।” अब सवाल ये है कि जब सब कुछ असली नहीं था, तो इतना दिखावा क्यों किया गया? और अगर असली था, तो सरकारी ठेकेदारों की ये चकाचौंध किसकी मेहरबानी से है?

READ MORE: इंदौर के सरकारी ठेकेदार का ‘Golden House’, बाहर बंधी गाय लेकिन अंदर हर एक चीज में मिलेगा सोना, वॉश बेसिन से लेकर स्विच बोर्ड में भी लगा है 24 कैरेट गोल्ड, Video

 वीडियो ने खोली पोल, बयानों में बैचेनी

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में अनुप अग्रवाल बड़े गर्व से कह रहे हैं कि घर में रियल गोल्ड है।” घर ही नहीं, वो अपने कारों और लग्ज़री लाइफस्टाइल का भी बखान करते हैं। लेकिन जैसे ही वीडियो वायरल हुआ और सवाल उठने लगे, उन्होंने तुरंत पलटी मार दी। अब कह रहे हैं – “वीडियो में जो बोला वो सिर्फ कहने के लिए था, असल में सब नकली है।” तो क्या ये माना जाए कि ये सिर्फ दिखावा था? या फिर सच में कुछ ऐसा था, जिससे ध्यान भटकाने के लिए बयान बदले जा रहे हैं?

कंपनी पर सरकारी मेहरबानी की ‘चमक’

हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर, जो प्रधानमंत्री आवास योजना से लेकर शहर की सड़कों तक कई बड़े सरकारी प्रोजेक्ट कर चुकी है, अब सवालों के घेरे में है। कंपनी के दो प्रमुख नाम- अनुप अग्रवाल और अरुण कुमार जैन हैं। जैन खुद इंजीनियर हैं, और सूत्रों के मुताबिक कई प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो बिना टेंडर भी इन्हीं को दिए गए। सरकारी ठेकेदारों पर इतनी मेहरबानी क्यों? क्या इसके पीछे कोई ‘अघोषित साझेदारी’ है? क्या इस कंपनी को सरकारी सिस्टम में बैठी कुछ ताकतों का खुला समर्थन है?

 ठेके का असली खेल- कागज़ों में क्वालिटी, ज़मीन पर लूट 

सड़क निर्माण और सरकारी प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब सरकारी ठेकेदार सोने के महलों में रहने लगें, तो सवाल उठना लाजमी है। सूत्रों का कहना है कि अक्सर सस्ती क्वालिटी का मटेरियल लगाकर बाकी रकम ‘बांट ली’ जाती है। सिस्टम, इंजीनियर और ठेकेदार – एक ट्रायंगल गठजोड़ बनाकर मोटी कमाई करते हैं।

सबसे बड़ा सवाल-आयकर विभाग खामोश क्यों? 

छोटे व्यापारियों को चंद हजार के ट्रांजेक्शन पर नोटिस भेजने वाला आयकर विभाग, मध्य प्रदेश के इन ‘गोल्डन ठेकेदारों’ पर नजर क्यों नहीं डालता? क्या ये दिखावे की चकाचौंध सिर्फ सोशल मीडिया के लिए है, या ये सिस्टम की असली नाकामी का आईना है? इस पूरे मामले ने एक बार फिर ये उजागर कर दिया है कि सरकारी कामों से कैसे कुछ लोगों की किस्मत चमकती है, और आम जनता वहीं के वहीं खड़ी रह जाती है। अब सोशल मीडिया सवाल कर रहा है-“क्या सरकारी ठेकों से सोना उगता है?” जवाब अभी भी सरकारी फाइलों और बयानों में दबा पड़ा है।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H