रायपुर. छत्तीसगढ़ कांट्रेक्टर एसोशियन ने अपनी समस्या को लेकर प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है. उन्होंने 9 सूत्रीय मांग को लेकर पत्र लिखा है.
एसोशियेशन ने अपने पत्र लिखा है कि, छत्तीसगढ़ लोक निर्माण विभाग में निर्माण कार्यों में संलग्न ठेकेदारों की 9 सूत्रीय समस्याओं के कारण शासकीय ठेके का कार्य कर पाने में अत्यधिक कठिनाई आ रही है.
- मूल्यवृद्धि का विसंगति पूर्ण प्रावधानः लो.नि.वि. में प्रचलित अनुबंध प्रपत्र में मूल्यवृद्धि के क्लॉज में सीमेन्ट, स्टील एवं डामर जैसे प्रमुख निर्माण सामग्रीयों के घटक पूर्व निर्धारित रखे गये हैं, इन सामग्रियों की वास्तविक खपत हर्ड मात्रा को गणना में कोई स्थान नहीं दिया गया है. जिसके चलते निर्माण कार्य के अलग-अलग चरणों में इन सामग्रियों का उपयोग किया गया हो अथवा नहीं लेकिन मल्यवद्धि की गणना में इन सामग्रियों को शामिल कर लिया जाता है. परिणाम स्वरूप इन प्रमुख निर्माण सामग्रियों के बाजार मूल्य में वास्तविक वृद्धि की प्रतिपूर्ति ठेकेदारों को नहीं हो पाती है. ऐसी स्थिति में ठेकेदार या तो निर्माण कार्य पूर्ण कर पाने की स्थिति में नहीं है या व्यवसायिक घाटा उठाने के लिए बाध्य है. कार्य विभाग नियमावली में प्रावधानित अनुबंध प्रपत्र में इन प्रमुख निर्माण सामग्रियों के वास्तविक खपत की मात्रा एवं सामग्रियों के बाजार मूल्य में कमी/वृद्धि सीधे गणना कर भुगतान किये जाने की व्यवस्था थी. वर्ष 2005 से लो.नि.वि. में मूल्यवृद्धि की विसंगतिपूर्ण व्यवस्था लागू है. 85% पर ही मूल्य वृद्धि एवं कमी की गणना की जाती है जबकि 100% पर किया जाना चाहिए.
वहीं विगत एक वर्ष के दौरान सीमेन्ट, स्टील एवं डामर की कीमतों में असामान्य वृद्धि हुई है, जिसे ध्यान में रखते हुए ओड़ीसा शासन और मध्यप्रदेश शासन द्वारा विशेष कदम उठाए गए हैं. अन्य प्रदेश सरकारों द्वारा निर्माण विभागों में संलग्न ठेकेदारों को असामान्य महंगाई से राहत देने हेतु उठाए गए कदमों के समानान्तर निर्णय लेते हुए प्रगतिरत अनुबंधों में एवं भविष्य में होने वाले अनुबंधों में सीमेन्ट, स्टील एवं डामर की वास्तविक खपत एवं वास्तविक बाजार मूल्य के अंतर के आधार पर मूल्यवृद्धि भुगतान का निर्णय पारित करने का कष्ट करें.
जमा कार्यों में विभाग द्वारा बिना किसी आधार अथवा तर्क के मूल्यवृद्धि क्लॉज विलोपित कर दिया जाता है ऐसी स्थिति में निर्माण सामाग्रीयों के बाजार मू असामान्य वद्धि के कारण ठेकेदार कार्य कर पाने में असमर्थ है, अतः सभी निर्माण कार्यो में एक समान रूप से मूल्यवृद्धि भुगतान किये जाने बाबत् आदेश जारी करने का कष्ट करें.
वर्तमान में प्रचलित अनुबंध प्रपत्र में मूल्यवृद्धि हेतु प्रावधानित सामग्री, श्रमिक एवं पी.ओ. एल. के पूर्व निर्धारित घटकों के भी समीक्षा की आवश्यकता है.
मध्यप्रदेश शासन द्वारा अत्याधिक मंहगाई बढ़ने के कारण 6 माह पूर्व की निविदाओं को यदि ठेकेदार चाहे तो निरस्त करा सकता है, छ.ग. शासन द्वारा भी लगभग 9 माह पूर्व की निविदाओं को जो ठेकेदार चाहे निरस्त करा सके ऐसा निर्णय लिया जाना उचित होगा.
2. अनुबंध की धारा 35 का पालन न करते हुए गौण खनिज के बाजार मूल्य से कटौती एवं रॉयल्टी क्लीयरेंस की जटिल व्यवस्था : छ.ग. शासन द्वारा गौण खनिज नियम में जून-2021 से एक नई धारा (71-क) जोड़ते हुए ठेकेदारों के देयकों से तथाकथित बाजार मूल्य से गौण खनिज की राशि रोकने एवं अनुबंध के अंतिम देयक का भुगतान खनिज विभाग से रॉयल्टी क्लीयरेंस प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये जाने पर्यन्त लंबित रखे जाने का प्रावधान शामिल किया गया है. यह नई व्यवस्था अपने आप में असामान्य एवं अत्याधिक जटिल है, जो कि ठेकेदारों को अलग-अलग विभागों के चक्कर लगाने हेतु बाध्य करता है.
वस्तुतः निर्माण विभाग के ठेकेदारों द्वारा गौण खनिज के माईनिंग का कार्य नही किया जाता है, अपितु ठेकेदारों द्वारा व्यवसायिक क्वारी से गौण खनिज क्रय कर निर्माण कार्य में उपयोग किया जाता है. ऐसे अनेक न्यायिक दृष्टांत विद्यमान है जिनमें माननीय न्यायालयों द्वारा रॉयल्टी क्लीयरेंस प्रस्तुत करने की शर्त को अवैद्य माना गया है एवं ठेकेदारों के देयकों से राजपत्र में प्रकाशित रॉयल्टी की दरो के अलावा अन्य किसी तथाकथित बाजार दर से गौण खनिज की राशि की कटौती को अनुचित माना है.
अनुबंध की कण्डिका 35 का पालन नहीं कर अन्य प्रपत्रों का पालन अपने अनुसार किया जाता है जबकि ठेकेदार सिर्फ अनुबंध की कण्डिकाओं का पालन करने के लिए बाध्य हैं.
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