पुरुषोतम पात्र,देवभोग. ठेकेदार को काम में लापरवाही बरतना महंगा पड़ गया. मामले में विभाग ने कठोर कदम उठाते हुए ठेकेदार का टेंडर निरस्त कर दिया. वहीं विभाग पेनाल्टी वसूलने की तैयारी भी संबंधित ठेकेदार से कर रहा है. मामले में पीडब्लूडी विभाग के एसडीओ एम.के.साहू ने बताया कि ने सरदापुर में लगभग दो करोड़ रूपए की लागत से स्वीकृत आईटीआई कालेज भवन के लिए महासमुंद के एक ठेकेदार को काम दिया गया था. वहीं वर्ष-2015 में लेआउट की प्रक्रिया होने के बाद ठेकेदार ने काम करना शुरू किया था.
एसडीओ के मुताबिक करीब तीन साल बीतने को आ गए है. इसके बाद भी अब तक संबंधित ठेकेदार द्वारा काम को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई पड़ रहा है. मामले में कार्यपालन अभियंता गरियाबंद के द्वारा संबंधित ठेकेदार को चार बार नोटिस जारी कर काम में तेजी लाने को भी कहा गया था. इसके बाद भी ठेकेदार काम को लेकर गंभीर नहीं हो रहा था. वहीं मामले में ठेकेदार के लापरवाह रवैये को देखते हुए विभाग के संबंधित ठेकेदार का टेंडर निरस्त कर दिया है. वहीं विभाग का कहना है कि नए निविदा की तैयारी की जा रही है. इसके बाद काम फिर से चालू किया जाएगा.
अव्यवस्थाओं के बीच लगती हैं क्लास
आईटीआई भवन शरदापुर में अव्यवस्थाओं के बीच क्लास लगने को मजबूर है. यहां पदस्थ सुरक्षाकर्मी महेंन्द्र यादव की माने तो मात्र पांच कमरे ही पूर्ण हो पाए है. जहां किसी तरह आईटीआई का संचालन किया जा रहा है. वहीं बाकी अन्य सभी कमरे अधूरे पड़े हुए है. महेन्द्र के मुताबिक उपर के कमरों में प्लास्टर होना है. इसी के साथ ही फ्लोरिंग भी अब तक नहीं हो पाया है. वहीं आईटीआई भवन के प्रथम तल के कमरों में टाईल्स लगाए जाने का काम भी अधूरा पड़ा हुआ है. मामले में आईटीआई के छात्र पारेश्वर निधि बताते हैं कि यहां भवन अधूरा रहने के कारण बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. महेन्द्र की माने तो पांच कमरे में ही प्राचार्य, कंम्प्यूटर क्लासेस के साथ ही अन्य गतिविधियां संपन्न करवाई जा रही है. वहीं मामले में छात्रों का कहना है कि ठेकेदार पिछले तीन साल से ढील रवैये से काम कर रहा है,जिसके चलते अब तक काम पूरा नहीं हो पाया है.
शौचालय पड़े हैं अधूरे, बाहर जाने को मजबूर
आईटीआई में पढने वाले मुकेश हरपाल और दुर्गेंश कश्यप बताते हैं कि आईटीआई भवन में सबसे बड़ी समस्या शौचालय की समस्या है. यहां बनाया गया यूरेनल के साथ ही शौचालय भी अधूरे पड़े हुए है. छात्र बताते हैं कि शौचालय अधूरे रहने के कारण उन्हें बाहर जाकर निपटना पड़ता है. वहीं ऐसी ही स्थिति छात्राओं के लिए बनाए गए शौचालय का भी है.यहां छात्राओं का शौचालय भी अधूरा पड़ा हुआ है. मामले में छात्रों की माने तो ठेकेदार के काम करने वाले लोगों से कई बार गुहार लगाया गया कि अधूरे पड़े हुए शौचालय को पूरा कर दिया जाए, लेकिन उनके कान में अब तक जूं तक नहीं रेगा. ऐसे में बाहर जाना मजबूरी बन जाती है.
आठ कंम्प्यूटर के भरोसे 52 विधार्थी
आईटीआई के छात्र मुकेश,पारेश्वर बताते हैं कि सबसे ज्यादा परेशानी यहां कंम्प्यूटर को लेकर होती है.छात्र बताते हैं कि आईटीआई में मात्र यहां 08 कंम्प्यूटर है,इसी के बदौलत ही पुरी पढ़ाई संपन्न हो रही है.छात्र बताते हैं कि मामले में अब वे जिला जाकर कलेक्टर को पुरी वस्तुस्थिति बताएंगे.वहीं यह भी बताएंगे कि कंम्प्यूटर की व्यवस्था नहीं होने के कारण किस तरह उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है.छात्रों की माने तो सरकार ने उनके लिए आईटीआई तो खोल दिया,लेकिन जिम्मेदार ठेकेदारों की लापरवाही के चलते उनकी पढ़ाई अव्यवस्था के बीच संपन्न होने को मजबूर है.मामले में छात्र बताते हैं कि उन्हें और भी कंम्प्यूटर की आवश्यकता है,वहीं कंम्प्यूटर नहीं हो पाने के चलते उन्हें प्रशिक्षण लेने में बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
एम.के.साहू,एसडीओ,पीडब्लूडी देवभोग का कहना है कि ठेकेदार के लापरवाह रवैये के चलते विभाग ने उसका टेंडर निरस्त कर दिया है. बार-बार नोटिस देने के बाद भी उसके रवैये में कोई सुधार नहीं आ रहा था. वहीं नया टेंडर होने के बाद काम जल्द ही पूरा कर दिया जाएगा.