प्रदीप मालवीय,उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन में विक्रम उत्सव के दौरान मंगलवार रात को कवि कुमार विश्वास की राम कथा अपने-अपने राम का तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजन किया गया है. लेकिन शुरुआत के दिन ही कवि कुमार विश्वास ने अपनी कथा के दौरान एक विवादित वक्तव्य दे दिया. उन्होंने कहा कि देश में “वामपंथी कुपढ़” हैं और “आर एस एस वाले अनपढ़” है. इस दौरान भाजपा के मंत्री, सांसद और विधायक सामने ही बैठे थे.

कवि कुमार विश्वास ने कहा कि एक दिन मैं अपने स्टूडियो में बैठा था कुछ रिकॉर्ड कर रहा था, तभी मेरे यहां काम करने वाला है, एक युवक जो आरएसएस के लिए काम करता है. आया और बोला कि भैया कल बजट आने वाला है, तो बजट कैसा होना चाहिए. तो मैंने कहा कि तुमने तो राम राज्य की सरकार बनाई है, तो रामराज्य जैसा ही बजट होना चाहिए, तो उस बच्चे ने कहा कि राम राज्य में कहां बजट होता था, तो मैंने कहा कि तुम्हारी यही समस्या है कि वामपंथी लोग कुपढ़ हैं और तुम अनपढ़ हो.

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हमारे इस देश में दो ही लोगों का झगड़ा चल रहा है, एक वामपंथी जो पढ़े तो हैं, लेकिन उन्होंने गलत पढ़ा है और दूसरे तुम जिन्होंने कुछ पढ़ा ही नहीं है और उसके बाद ये कहते हैं कि हमारे ग्रंथों में यह लिखा है वह लिखा है, लेकिन ग्रंथ कैसे होते हैं ? इन्होंने देखे नहीं हैं. पहले उसको पढ़ तो लो उसमें लिखा क्या है ?

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इस कार्यक्रम में उज्जैन दक्षिण के विधायक और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, उज्जैन उत्तर के विधायक पारस जैन और सांसद अनिल फिरोजिया, महापौर मुकेश टटवाल सहित बीजेपी के कई नेता मौजूद थे. वक्तव्य पूरा होने के बाद वहां बैठे हजारों श्रोताओं ने तालियां बजाई.

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ऐसे में सवाल यह उठता है कि कुमार विश्वास जोकि पूर्व आम आदमी पार्टी के नेता रहे हैं और एक कवि भी है. उसके बाद अब राम कथा वाचक भी है. इस प्रकार राम कथा के दौरान भारत के एक हिंदूवादी संगठन और वामपंथी संगठन के बारे में इस तरह के अपशब्द का इस्तेमाल किया जाना एक राम कथा वाचक की मानसिकता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है. अब इस वक्तव्य का मौजूदा राजनीतिक परिपेक्ष में और संगठनात्मक परिपेक्ष में क्या प्रभाव पड़ेगा यह आने वाला वक्त ही बताएगा.

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