जामिया मिल्लिया इस्लामिया (JMI) एक बार फिर सुर्खियों में है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने एक PHD छात्र को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। प्रशासन का आरोप है कि छात्र ने 19 सितंबर को आयोजित ‘बटला हाउस मुठभेड़ विरोध मार्च’ (Batla House Encounter)के दौरान बार-बार गैरकानूनी गतिविधियों में हिस्सा लिया और छात्रों को धार्मिक आधार पर भड़काने की कोशिश की।
जामिया के चीफ प्रॉक्टर कार्यालय की ओर से जारी नोटिस में कहा गया कि छात्र को पहले ही इस मुद्दे की संवेदनशीलता और इसके संभावित नतीजों के बारे में आगाह किया गया था, लेकिन उसने इन चेतावनियों को अनदेखा कर दिया। प्रशासन का मानना है कि इस तरह की गतिविधियां विश्वविद्यालय की शैक्षणिक और अनुशासनात्मक व्यवस्था के खिलाफ हैं।
प्रशासन का आरोप है कि छात्र ने मार्च से पहले सेंट्रल कैंटीन में भड़काऊ राजनीतिक भाषण दिया। इतना ही नहीं, उस पर बड़े-बड़े छपे हुए पोस्टर लगाने और पर्चे बांटने तक के आरोप लगाए गए हैं। विश्वविद्यालय का कहना है कि इस तरह की गतिविधियां न केवल सुरक्षा को खतरे में डालती हैं बल्कि परिसर की अनुशासन व्यवस्था के भी खिलाफ हैं।
छात्र ने दिया जवाब, सबूत की चुनौती
दूसरी ओर, छात्र ने लिखित जवाब में सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उसका कहना है कि प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सामने कोई भी ऑडियो या वीडियो सबूत पेश नहीं किया जा सकता, जिसमें उसने धार्मिक भावनाएं भड़काने वाली बातें की हों। छात्र ने यह भी साफ किया कि उसने न तो गेट नंबर-7 से बाहरी लोगों को प्रवेश दिलाया और न ही ट्रैफिक बाधित किया। उसका आरोप है कि गेट के अंदर ही विश्वविद्यालय के सुरक्षा सलाहकार ने उसे पकड़कर दिल्ली पुलिस को सौंप दिया। विरोध प्रदर्शन कक्षा के समय के बाद आयोजित किया गया था और इससे पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ा।
इस विवाद में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) भी सामने आई है। संगठन का आरोप है कि विरोध के दौरान महिलाओं समेत करीब 20 छात्रों को जबरन परिसर से बाहर खींचकर पुलिस के हवाले कर दिया गया।
पुलिस का दावा, बल प्रयोग नहीं किया
हालांकि पुलिस ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। दक्षिण-पूर्व जिले के डीसीपी हेमंत तिवारी ने कहा कि आइसा कार्यकर्ता गेट नंबर-7 से बाहर मार्च निकालने की कोशिश कर रहे थे। कई बार समझाने और चेतावनी देने के बावजूद जब वे नहीं माने, तो उन्हें सिर्फ एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया गया। पुलिस का दावा है कि किसी भी छात्र के साथ न तो दुर्व्यवहार किया गया और न ही बल प्रयोग।
गौरतलब है कि 19 सितंबर 2025 को बटला हाउस मुठभेड़ की 17वीं बरसी थी। 2008 में दिल्ली के जामिया नगर इलाके में हुई इस मुठभेड़ में इंडियन मुजाहिदीन के दो कथित आतंकवादी मारे गए थे, जबकि दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे। तब से यह घटना लगातार विवादों और राजनीतिक बहसों का हिस्सा बनी हुई है।
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