चंकी बाजपेयी, इंदौर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने इमरान हाशमी और यामी गौतम अभिनीत फिल्म ‘हक’ की रिलीज पर रोक लगाने की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। फिल्म 7 नवंबर को रिलीज होने वाली है, जो 1985 के ऐतिहासिक शाहबानो केस से प्रेरित है। याचिका शाहबानो की बेटी सिद्दिका बेगम खान ने दायर की है, जिसमें फिल्म में तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने और भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और जल्द फैसला आने की संभावना जताई गई है।
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याचिका में कहा गया कि फिल्म लेखक ने शाहबानो की जिंदगी पर बनी किताब को आधार बनाया है, लेकिन परिवार की सहमति के बिना इसे काल्पनिक रूप से बदल दिया गया है। ट्रेलर और टीजर में शाहबानो की छवि को विकृत तरीके से दिखाया गया है, जो मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को आहत कर सकता है। शरिया कानून को नकारात्मक रूप से पेश करने का भी आरोप है। फिल्म में तीन-चार ऐसे डायलॉग्स हैं, जो कभी वास्तविक घटनाओं में जिक्र नहीं हुए थे। इनके कारण तीन तलाक जैसी संवेदनशील मुद्दों पर गलत संदेश जा सकता है।
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याचिकाकर्ता ने मांग की है कि फिल्म की रिलीज पर तत्काल रोक लगाई जाए और निर्माताओं को लीगल नोटिस भेजा जाए। फिल्म के निर्माताओं की ओर से वकील अजय बगड़िया ने पांच प्रमुख बिंदुओं पर दलीलें रखीं:फिल्म पूरी तरह काल्पनिक है और किसी वास्तविक व्यक्ति या घटना को निशाना नहीं बनाती। यह महिलाओं के अधिकारों, खासकर तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई पर आधारित है, जो न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया की महिलाओं की आवाज है। शाहबानो केस को एक प्रेरणादायक ज्योति के रूप में दिखाया गया है, जो सम्मानजनक है और भावनाओं को आहत नहीं करता। सेंसर बोर्ड (सीबीएफसी) ने फिल्म को बिना कट के ‘यू/ए’ सर्टिफिकेट दिया है, जो भारत सहित कई देशों में मान्य है। कोई आपत्तिजनक या गलत सामग्री नहीं है; यह एक कोर्टरूम ड्रामा है जो सशक्तिकरण का संदेश देती है।
फिल्म का बैकग्राउंड
‘हक’ जंगली पिक्चर्स के बैनर तले बनी है, जिसमें इमरान हाशमी और यामी गौतम मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म शाहबानो केस पर केंद्रित है, जहां 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता का अधिकार देते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। यह तीन तलाक और महिलाओं की कानूनी लड़ाई को दर्शाती है।
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