शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश में सभी स्कूलों में आगामी 10 जुलाई गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित होंगे। दो दिवसीय गुरु पूर्णिमा उत्सव को लेकर लोक शिक्षण संचालनालय के आदेश पर अब विवाद खड़ा हो रहा है। दरअसल, सभी प्राचार्यों को निर्देश दिया गया है कि गुरु पूर्णिमा उत्सव में साधु-संतों को भी आमंत्रित किया जाए। साधु-संत गुरु पूर्णिमा के धार्मिक महत्व को भी साझा करेंगे। मुस्लिम संगठनों ने गुरु पूर्णिमा उत्सव पर  आपत्ति दर्ज कराई है। साथ ही कांग्रेस ने इसे आरएसएस का एजेंडा बताया है। उधर, बीजेपी ने कहा कि गुरु-शिष्य की परंपरा के लिए आदर्श हैं। हर मामले में तुष्टिकरण की राजनीति नहीं होना चाहिए।

दरअसल, बीते शुक्रवार को गुरु पूर्णिमा दो दिवसीय उत्सव लोक शिक्षण आयुक्त शिल्पा गुप्ता ने आदेश जारी किया। इसमें बताया गया है कि 10 जुलाई गुरुवार को गुरु पूर्णिमा के मौके पर सभी स्कूलों में आयोजन होंगे। यह आयोजन 9 और 10 जुलाई को होगा। पहले दिन 9 जुलाई को विद्यालय में प्रार्थना सभा के बाद शिक्षकों द्वारा गुरु पूर्णिमा के महत्व और पारंपरिक गुरु-शिष्य संस्कृति के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी दी जाएगी। स्कूलों में प्राचीन काल में प्रचलित गुरुकुल व्यवस्था और उसका भारतीय संस्कृति में प्रभाव विषय पर बच्चों के बीच में निबंध लेखन प्रतियोगिता की जाएगी। आयोजन के दौरान साधु-संतों, गुरुजनों, सेवानिवृत्त शिक्षकों, पूर्व विद्यार्थियों और वरिष्ठ नागरिकों को आमंत्रित किया जाए..पूर्व विद्यार्थी अपने शाला जीवन के अनुभव को विद्यार्थियों के बीच साझा करेंगे। उत्सव के दूसरे दिन 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थाओं में वीणा वादिनी मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण कर गुरु वंदना की जाएगी। गुरु की महिमा पर केन्द्रित व्याख्यान होंगे।

यह मुस्लिम समेत गैर हिंदू बच्चों के धर्मांतरण की साजिश- उलेमा बोर्ड

ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड के अध्यक्ष काजी अनस अली ने कहा कि ऐसे आयोजन के सरकारी फरमान क्यों जारी होते हैं जिनसे विवाद की स्थित बनें। स्कूलों में सिर्फ हिंदू धर्म के नहीं बल्कि मुल्सिम, सिख, ईसाई समेत अन्य कई धर्मों के बच्चे पढ़ते हैं। लिहाजा सिर्फ साधु-संतों के प्रवचन गुरु पूर्णिमा पर नहीं होना चाहिए। यदि सरकार को दो दिनी उत्सव मनाना है तो सभी धर्मों के धर्म गुरुओं को बुलाया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि क्या ऐसे आयोजन कर सरकार धर्मांतरण की ओर बच्चों को उकसा रही है। शिक्षा सभी का मौलिक अधिकार है। लिहाजा जिस उद्देश्य के लिए स्कूलों का संचालन किया जाता है वहीं होना चाहिए। यह स्कूली छात्र-छात्राओं के धार्मिक स्वतंत्रता का भी हनन का मामला है। हिंदुओं के बच्चों को लेकर अकसर जरा सी बात में बवाल हो जाता है। फिर अन्य धर्म के साथ भेदभाव क्यों। उन्होंने साफ कहा कि ऐसे आयोजन कतई नहीं होना चाहिए।

आरएसएस की मानसिकता को थोप रही सरकार, त्योहारों के लिए मंदिर और आश्रम- कांग्रेस

मामले पर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता पंडित जितेंद्र मिश्रा ने कहा कि सरकार ऐसे आयोजन के जरिए आरएसएस की मानसिकता का शिकार स्कूली बच्चों को बना रही है। सर्वधर्म सम्भाव की भावना को खत्म किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा के त्यौहार को लेकर के कोई आपत्ति नहीं है। यह गुरु और शिष्य की व्यक्तिगत आस्था का विषय है। लेकिन, स्कूलों को एक धर्म विशेष के लिए आदेश जारी कर अखाड़ा नहीं बनाया जाना चाहिए। सरकार ने संघ की मंशा पूर्ति के लिए ऐसे आयोजन के लिए आदेश जारी करा रही है। इससे शिक्षा के प्रभावित होने का भी खतरा है। गुरु पूर्णिमा को बनाने के लिए लोग मंदिर और आश्रम जाते हैं। इस बात की इजाजत नहीं देना चाहिए कि स्कूलों में साधु संन्यासियों को बुलाकर के प्रवचन कराया जाए। बीजेपी सरकार इस प्रदेश का सांप्रदायिक माहौल खराब करना चाहती है।

गुरु-शिष्य की परंपरा एक आदर्श, कांग्रेस मतलब सनातन विरोध मानसिकता- बीजेपी

बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने मामले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति करती है। कांग्रेस की सरकारों में सनातन के साथ साधु-संतों का अपमान ही हुआ है। गुरु-शिष्य परंपरा सभी धर्मों के लिए आदर्श है। अनादी काल से यह परंपरा ही भारत का निरंतर निर्माण करती आ रही है। प्रदेश में सभी को अपने-अपने धर्म और संस्कृति मानने का अधिकार है। कांग्रेस और जो संगठन इसका विरोध कर रहे हैं वह आतंकियों के साथ अकसर खड़े दिखाई देते हैं। कांग्रेस को निकम्मी राजनीति से बाज आना चाहिए।

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