उज्जैन। सिंहस्थ मेले में यात्रियों की सुविधाओं और चिंतामण गणेश मंदिर में आने जाने की सुविधा के उद्देश्य से बनाया गया नवीन रेल्वे स्टेशन उद्घाटन से पहले ही विवादों से घिर गया है। विवाद की वजह नए बने स्टेशन “चिंतामन गणेश स्टेशन” के नाम को उर्दू भाषा में लिखा जाना है। जिस पर आपत्ति आव्हान अखाड़ा के आचार्य महमण्डलेश्वए ने दर्ज कराई थी और कहा था कि जहां भी स्टेशन पर उर्दू में नाम लिखा जाएगा उस दीवाल को तोड़ दिया जाएगा। इससे पहले की विवाद की चिन्गारी और ज्यादा सुलगती उससे पहले ही उर्दू से लिखे नाम को पीले पेंट से पुतवा दिया गया। हालांकि यह पता नहीं चल पाया है कि नाम पर पेंट पुतवानी की कार्रवाई रेलवे की थी या किसी और की।

उर्दू में लिखे नाम को हटाए जाने पर आचार्य शेखर ने कहा की इसकी शुरुआत हो चुकी है। अब प्रदेश में जंहा भी हिन्दू धार्मिक स्थलों पर उर्दू के शब्दों का उपयोग किया जाएगा वहां उस नाम को हटाने की मुहिम चलाई जाएगी। जहां भी स्टेशन पर उर्दू में नाम लिखा जाएगा उस दीवाल को तोड़ दिया जाएगा।

आपको बता दें उज्जैन से फ़ातियाबाद की और जाने वाली नेरो गेज लाइन को कई सालो पहले बंद कर दिया गया था। जिसके बाद इसे  ब्रॉड गेज लाइन में परिवर्तित कर दिया गया। उज्जैन से फातियाबाद लाइन में पहला ही स्टेशन चिंतामन गणेश स्टेशन बनाया गया है। उज्जैन में महाकाल मंदिर दर्शन के बाद अधिकतर श्रद्धालु भगवान चिंतामन गणेश के मंदिर जरूर जाते है। यह मंदिर देश भर में विख्यात है। उज्जैन रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर दूर बने नवनिर्मित इस स्टेशन का नाम और समुद्र तल से ऊंचाई लिखी गई थी, जो कि हिन्दी के साथ ही उर्दू भाषा में लिखी गई थी।