जिस वक्त देश में कोविड-19 पूरी ताकत के साथ फैल रहा है। केरल विदेशों में रहने वाले भारतीयों को अपने यहां रखने के लिए तैयार हो चुका है। गुरुवार की रात 363 लोग विदेशों से यहा आ गए। विदेश से आने वालों की संख्या लाखों में होगी। केरल ये बोझ उठाने को तैयार हो चुका है। खतरा बड़ा है। ज़ाहिर तौर पर केरल इस चुनौती का सामना करने को तैयार है। केरल पिछले एक साल में तीन बड़ी प्राकृतिक आपदाओं को झेला और निपटा है। पहले बाढ़ से तबाही, फिर निपाह वायरस का हमला अब कोरोना। इन तीनो चुनौतियों से न केवल केरल बखूबी निपटा है बल्कि बेहतर शैक्षणिक माहौल कारगर स्वास्थ्य व्यवस्था और सक्षम सरकार की बदौलत हर चुनौती के साथ वो मज़बूत होकर उभरा है।

ये स्थिति तब है जब कई राज्य रेड जोन में रहने वाले लोगों को राज्य में बुलाने का साहस नही कर पा रहा है। राज्य कोरोना से तकरीबन निपट चुका है। लंबे समय तक जिस केरल में सबसे ज़्यादा मरीज़ थे वो करीब-करीब इससे उबर चुका है।

जिस तरह कोरोना का पहला मरीज़ केरल में मिला था उसी तरह एनआरआई को लेकर पहला विमान भी केरल पँहुचेगा। इस बीच 4-5 दिन से केरल में कोई नया मामला सामने नही आया है। राज्य में 502 संक्रमित मारिज़ो में से अब केवल 25 मरीज़ ही बचे हैं। एक महीने पहले तक राज्य में कोरोना के सक्रिय मामलो की संख्या 300 थी। यहां अब तक केवल 3 मरीज़ों की मौत हुई है। कोरोना से निपटने में केरल की चर्चा सरहदों को पार पूरी दुनिया मे हो रही है। अमेरिका में इस कम्युनिस्ट सरकार की कामयाबी का अध्ययन किया जा रहा है।

केरल बेहद गंभीरता से कार्ययोजना बनाकर इस बीमारी से उबरने की स्थिति में आ पाया है। केरल में पहला केस आते ही सरकार गंभीर हो गई। राज्य में तीसरा मरीज मिलते ही इमरजेंसी का ऐलान कर दिया गया। सभी मजिस्ट्रेट को पूरे अधिकार दे दिए गए । विदेश से आने वाले हर नागरिक को 28 दिन के क्वॉरंटीन में रखना शुरू कर दिया गया। दूसरे मोर्चे पर संक्रमित मरीजों के कॉन्टैक्ट और उनके पूरे इलाके की निगरानी की गई। जरूरत पड़ने पर लोगों को अलग-थलग किया गया। राज्य में कोरोना मरीजों की पहचान के लिए करीब 12 टेस्टिंग लैब तैयार हकी गई।राज्य के शैक्षणिक संस्थानों, हॉस्टल और खाली पड़े सामुदायिक भवनों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील किया गया। दूसरे राज्य से आने वाले शख्स के लिए 14 दिन और विदेश से आने वालों के लिए 28 दिन का क्वॉरंटीन जरूरी कर दिया गया।

राज्य में 16693 लोगों को निगरानी में रखा गया। जिसमें से 310 को हॉस्पिटल ले जाने की ज़रूरत पड़ी। राज्य में संदिग्धो का फौरन टेस्ट किया गया। राज्य में अब तक 35,171 लोगों के टेस्ट हो चुके हैं।  इसके अलावा केरल ने तालेबंदी के बाद पैदा होने वाले खतरे को भांप लिया। केरल ने मार्च में ही 20 हजार करोड़ के राहत पैकेज का एलान किया। मुख्यमंत्री विजयन ने इस पैकेज से हर मौजूदा और सम्भावित संकट निपटने के लिए प्रावधान किए गए। इस राशि को गरीबों को खाना देने, अनाज बांटने, मज़दूरों के लिए नगदी की व्यस्था और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार में लगाया गया। ये घोषणा केंद्र की किसी भी घोषणा से पहले हुई।

आज भी केरल में कोरोना से निपटने के लिए कई तरह के प्रयोग हो रहे हैं. सोशल डिस्टेंसिंग के ऐसे तरीके खोजे जा रहे हैं, जो काफी अलग और कारगर हैं. यहां टैक्सी ड्राइवरों को कोरोना से बचाने के लिए एक अलग ही आईडिया निकाला गया है. जिसमें टैक्सी ड्राइवर और पैसेंजर की सीट के बीच एक फाइबर ग्लास शीट लगाने की बात कही गई है. इस पार्टिशन से ड्राइवर पैसेंजर के संपर्क में नहीं आ पाएगा. सबसे मजेदार बात इतना कुछ होने के बाद भी चर्चा केरल की मॉडल की हो रही है। मुख्यमंत्री विजयन की नहीं। ये ही केरल की सफलता का सबसे बड़ा राज है।