सत्यपाल सिंह, रायपुर। ये निजी स्कूल वाले हैं साहब…ये सिर्फ पैसों के भूखे हैं….इन्हें किसी से कोई डर नहीं है. इन्हें न कोरोना से डर लगता है, न किसी सरकारी आदेश से कोई फर्क पड़ता है. ये तो अपनी मनमानी के लिए जग मशहूर हैं. इनका कोई सरकार कहाँ आज तक कुछ बिगाड़ सकी है. इनके लिए तो सरकारी आदेश सिर्फ कागजी टुकड़ा है. ये तो वही करते हैं जो इनका मन करता है.
विश्वव्यापी कोरोना जैसे महामारी संकट में भी देखिए न इनको फीस की पड़ी है. सरकार एक तरफ जहाँ इस संकट से निपटने समाज से मदद मांग रही है. दूसरी तरफ देश के बच्चों को शिक्षा देने वाली निजी शैक्षेणिक संस्थाएं पालकों पर संकट के इस घड़ी में फीस जमा करने का दवाब बना रही है.
निजी स्कूल की मनमानी के कई कारनामें पहले भी खूब सामने आते रहे हैं. लेकिन इस विपदा के क्षण में इन्होंने शिक्षा जगत को ही शर्मसार कर दिया है. ये बातें हम अपनी तरफ से नहीं कह रहे हैं, बल्कि लोक शिक्षण संचलनालय संचालक का वह पत्र कह रहा है, जिसमें वे स्वीकार करते हैं कुछ जगहों से निजी स्कूलों की मनमानी की शिकायतें आई है. निजी स्कूल संचालक पालकों पर फीस लेने का दवाब बना रहे हैं.
इस पत्र को आप यहाँ भी पढ़ सकते हैं. सरकारी भाषा में लिखी गई बातें पढ़ने में भले सहज जान पड़े, लेकिन अर्थ बहुत ही व्यापक और गहरे हैं. इसका साफ और स्पष्ट मतलब यही है कि निजी स्कूल संचालक पर न कोरोना का डर है, न सरकारी आदेशों का है. ये वही कर रहे हैं, जिसके लिए ये विख्यात हो चुके हैं.
हर बार की तरह एक बार फिर पालक संघ ने अपना विरोध जाहिर किया है. पालक संघ ने निजी स्कूलों की मनमानी को रोकने की मांग सरकार से की है. सरकार ने मांग मान भी ली है और आदेशित किया है कि किसी भी पालक से लॉकडाउन की अवधि में फीस न लिया जाए. हालांकि पालक संघ ने सरकार से फीस माफी की अपील भी की है.