रायपुर। संकट का समय ही किसी भी व्यक्ति, मुखिया, नेतृत्वकर्ता, संस्था या सत्ता की कार्यक्षमता, विवेक, बुद्धि को परखने का सबसे उचित समय होता है. यही समय जरूरतमंदों के बीच आपकी अहमियत को दर्शाता है. जैसे की कोरोना संकट में इन दिनों छत्तीसगढ़वासियों के नेतृत्तकर्ता, मुखिया, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अहमियत को दर्शा रहा.
एक संदेशनशील, एक दूरदृष्टि व्यक्तित्व के धनी भूपेश बघेल समय से पूर्व स्थितियों का आंकलन कर कोरोना विपदा से अपने प्रदेश को उबारने, प्रदेश के बाहर फंसे लोगों तक मदद पहुँचाने में पूरी शिद्दत से जुटे हैं. विश्वव्यापी विनाशकारी इस संकट के घड़ी में भूपेश सरकार जिस तरह से हर मोर्चे पर तन-मन-धन और मानव सेवा धरम के साथ जुटी है उसे आज छत्तीसगढ़ के साथ देश और विदेश के लोग भी देख रहे हैं.
आज देश के कई राज्यों से मजदूरों के पलायन करने, सड़क पर जुट जाने, बस स्टैण्ड, रेल्वे स्टेशन में हजारों की संख्या भीड़ इक्कठा हो जाने की तस्वीरें आ रही है. इन सबके बीच छत्तीसगढ़ भी एक ऐसा राज्य जहाँ के प्रवासी मजदूर भी देश के 20 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में फंसे है, लेकिन वे सड़क पर उतरकर त्राहिमाम नहीं कर रहे हैं. क्योंकि भूपेश सरकार अपने प्रदेशवासियों के हर जरूरतमंदों तक द्वार-द्वार तक मदद पहुँचा रही है.
सरकार से मिली जानकारी के अनुसार लाॅकडाउन से प्रभावित छत्तीसगढ़ प्रदेश के अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी श्रमिकों के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल एवं निर्देशन में राज्य सरकार ने 14 अप्रैल शाम 4 बजे तक संकटग्रस्त 64416 श्रमिकों को भोजन, ठहरने और चिकित्सा सुविधा सहित अन्य आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित कर उन्हें राहत पहुंचायी हैं.
यही इनमें से 6556 श्रमिकों के खाते में तत्कालिक व्यवस्था के लिए लगभग 19 लाख 12 हजार रूपए भी जमा करवाया गया है.
जिन श्रमिकों तक अभी राशि पहुँची है. उसमें बेमेतरा के 4879 श्रमिकों के खाते में 15 लाख 45 हजार रूपए, मुंगेली जिले के 1483 श्रमिकों के खातें में 173000 और कबीरधाम जिले के 194 श्रमिकों के खातें में प्रति श्रमिक 194000 जमा कराया गया है.
श्रम विभाग के सचिव सोनमणि बोरा का कहना है कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार श्रमिकों की समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए अधिकारियों का दल गठित कर सतत् निगरानी की जा रही है। इसके लिए विभाग द्वारा राज्य स्तर पर हेल्पलाईन नम्बर 0771-2443809, 91098-49992, 75878-22800 सहित जिला स्तर पर भी हेल्पलाईन नम्बर स्थापित किए गए हैं। हेल्पलाईन नम्बर के माध्यम से प्राप्त श्रमिकों की समस्याओं को पंजीबद्ध कर तत्काल यथासंभव समाधान किया जा रहा है.
श्रम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के 28 जिलों के श्रमिक 20 अन्य राज्यों एवं चार केन्द्र शासित प्रदेशों में फंसे हुए हैं. सबसे ज्यादा श्रमिक जम्मू में 15 हजार 855, महाराष्ष्ट्र में 11 हजार 718, उत्तरप्रदेश में 10 हजार 365, तेलंगाना में 7 हजार 927, गुजरात में 5 हजार 599, और मध्यप्रदेश में एक हजार 686 श्रमिकों के फंसे होने की जानकारी प्राप्त हुई है। इसी प्रकार हिमाचाल प्रदेश में में 1 हजार 575, कर्नाटक में एक हजार 427, तमिलनाडू में एक हजार 404 तथा दिल्ली में एक हजार 228 श्रमिकों के फंसे होने की जानकारी हेल्पलाईन नम्बर सहित विभिन्न माध्यमों से मिली है.
संकटग्रस्त अथवा फंसे हुए श्रमिकों में छत्तीसगढ़ के मुंगेली से छह हजार 144, कबीरधाम से पांच हजार 850, राजनांदगांव से पांच हजार 365, जांजगीर-चांपा से 11 हजार 159, बलौदाबाजार से 20 हजार 424, बेमेतरा से तीन हजार 559, रायगढ़ से दो हजार 112, बिलासपुर से चार हजार 129, सूरजपुर से 464, दुर्ग से एक हजार 187, बालोद से 332, गरियाबंद से 622, रायपुर से एक हजार 352 और कोरबा जिले से 327, महासमुन्द से 424 श्रमिक फंसे हुए है।
फिलहाल इन सभी फंसे हुए श्रमिकों तक राज्य सरकार के नोडल अधिकारियों द्वारा अन्य राज्यों के प्रशासनिक अधिकारियों, कारखाना प्रबंधकों, नियोजकों और ठेकेदारों से समन्वय कर सतत् निगरानी की जा रही है तथा उनके खाने-पीने, रहने सहित अन्य आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने श्रमिकों से अपील की है कि सरकार हर कदम पर गरीब मजदूरों के साथ है और लाक डाउन के दौरान उन्हें किसी भी तरह से चिंतित होने की जरूरत नहीं है.सरकार उनकी मदद के लिए हर संभव कदम उठाने को तैयार है.