सत्यपाल सिंह,रायपुर। राज्य में कोविड से हुई मौत के आंकड़ों का विश्लेषण करने से यह बात सामने आई कि अनेक लोग तबीयत खराब होने पर निजी तौर पर कार्य कर रहे है. गैर मान्यता प्राप्त अप्रशिक्षित व्यक्तियों के पास जाकर इलाज कराते है. तबीयत अधिक खराब होने पर ही शासकीय अस्पताल या अन्य अस्पताल जाते हैं. जिससे उचित समय पर इलाज नहीं मिल पाता है. इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई कि सर्दी, खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ होने के बाद भी कोरोना की जांच नहीं कराते हैं.

डेथ आडिट कमेटी के सदस्य डॉ. सुभाष पांडे ने बताया कि रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि 29 जनवरी से 4 फरवरी के सप्ताह में प्रदेश में कोरोना से मृतकों में 70 प्रतिशत पुरूष, 27 प्रतिशत महिलाए और 3 प्रतिशत टांसजेन्डर शामिल हैं. कोमार्बिडीटी से 77 प्रतिशत और 23 प्रतिशत कोविड से मृत्यु हुई. इसमें 60 वर्ष से अधिक उम्र के समूह में सीएफआर 4.0 दर्ज किया गया.

राज्य स्तरीय ऑडिट समिति के सदस्य डॉ. ओ पी सुंदरानी ने कहा कि सर्दी, खांसी, बुखार आदि लक्षण आने पर लोगों को तुरंत कोरोना जांच करानी चाहिए. इसमें झिझकना नहीं चाहिए, क्योंकि पॉजिटिव आने पर तुरंत इलाज शुरू हो जाता है और रिकवरी की संभावनाएं भी 95 प्रतिशत से अधिक होती हैं. उन्होंने कहा कि जांच कराने के बाद रिपोर्ट आते तक स्वयं को आइसेालेट करना चाहिए. अपना ऑक्सीजन स्तर नापे 95 प्रतिशत से कम रहने पर चिकित्सक करें.

मौत की ये रही वजह

  • कोरबा जिले की महिला को 29 जनवरी को लक्षण आने के बाद 2 फरवरी को निजी चिकित्सक से इलाज कराने के बाद भी तबीयत ठीक नहीं हुई. निजी चिकित्सक ने सर्दी, खांसी के लक्षण आनेपर भी कोरोना जांच की सलाह नहीं दी. बाद में दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती र्हुइ पर तबीयत नहीं संभली और 3 फरवरी को मौत हो गई.
  • बिलासपुर में होम आईसोलेशन में रहे मरीज ने अपनी जानकारी नहीं दी और तीन बाद उसकी मृत्यु हो गई.
  • बलौदाबाजार जिले के 50 वर्ष के पुरूष को 1 जनवरी से कफ और बुखार आने पर गैर मान्यता प्राप्त व्यक्ति से स्थानीय इलाज कराया. 10 दिन बाद तिल्दा के निजी अस्पताल में भर्ती कराने के बाद कोरोना जांच कराने पर पॉजिटिव आने पर रायपुर रिफर किया, लेकिन 27 जनवरी को मौत हो गई.