कहते हैं कला और संस्कृति किसी भी राज्य का आधार स्तंभ होता है, मगर आज कोरोना जैसी विश्वस्तरीय महामारी की वजह से बॉलीवुड ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ फिल्मों में भी वीरानी छाई हुई है. सांस्कृतिक प्रकोष्ठ प्रदेश संयोजक व डायरेक्टर राजेश अवस्थी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जब कोई फ़िल्म बनती है तो उस फिल्म के माध्यम से लगभग 100 से 150 लोगों को आजीविका मिलती है और छत्तीसगढ़ में 1 साल में कम से कम 20 फिल्में बनती हैं. इस हिसाब से हजारों लोगों की रोजी-रोटी इस पर निर्भर है, मगर इस कोरोन की मार की वजह से आज रोजी रोटी वाले व्यक्तियों को जैसे स्पॉटबॉय, लाइटमैन,फाइटर, लोक कलाकार, डांसर, एवं सहायक कलाकारों को आर्थिक रूप से बहुत नुकसान हुआ है. वह इस स्थिति के लिए तैयार भी नहीं थे कि वह कुछ पैसा जोड़कर अपनी आजीविका चला सकते.

इसलिए यह बहुत ही गंभीर मामला है. सरकार भी अपनी तरफ से जो मदद कर पा रही है वह अपनी जगह है, लेकिन उसके बावजूद उन व्यक्तियों कोअपने संबंधों के आधार पर उधार लेना पड़ रहा है. जब तक फिल्मों की शूटिंग चालू नहीं होगी एवं लोक गायक एवं सांस्कृतिक कलाकारों को मंच नहीं मिलेगा, तब तक उनकी स्थिति बहुत दयनीय हो जाएगी. आज बहुत सारी फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है एवं कुछ फिल्मों की शूटिंग बाकी है. ऐसे समय में उन फिल्म निर्माताओं का पैसा भी फंसा हुआ है और जब तक यह फिल्म थिएटर में पूरी छूट के साथ नहीं लगेगी, तब तक उनका वह पैसा फसा ही रहेगा. अभी उम्मीद कम है कि अक्टूबर से पहले थिएटर में फिल्मों का प्रदर्शन सरकार चालू करें. उन निर्माताओं के पास और कोई उपाय भी नहीं बचता कि किसी माध्यम से अपना पैसा निकाल पाए.

ऐसे समय में कलाकार अब यह सोचने में मजबूर हैं कि जब तक हालात सामान्य नहीं हो जाते तब तक उन्हें अपने रोजी रोटी के लिए क्या व्यवसाय बदलना पड़ेगा? उनके पास कोई चारा भी नहीं है. राज्य सरकार को चाहिए कि ऐसे समय में कलाकारों के लिए अलग से संस्कृति विभाग से मदद की व्यवस्था भी करें. सीधी भाषा में देखा जाए तो इससे छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री को काफी नुकसान हुआ है. आने वाले समय मैं इससे उबर पाना थोड़ा मुश्किल ही होगा पर मुझे लगता है कि हम सभी को हिम्मत से काम लेना पड़ेगा, क्योंकि और कोई चारा भी नहीं है और जो सक्षम है ऐसे व्यक्तियों को अपने से जुड़े कलाकारों की मदद करते रहनी चाहिए एवं उनका हौसला अफजाई करते रहना चाहिए. एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री मैं ऐसा दिन पहली बार देखा है. मैं अंत बस यही कहना चाहूंगा कि हम सबको धैर्य रखना चाहिए और इस करोना जैसी महामारी को दूर करने में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के द्वारा जो आदेश आ रहे हैं. उन सब का विशेष रुप से पालन करते हुए हमें इस महामारी को दूर भगाना चाहिए और ऐसे समय में मुझे स्वर्गीय किशोर कुमार जी का यह गीत याद आ गया.

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चलके मिलेंगे साए बहार के