नई दिल्ली। कोरोना के खात्मे के लिए एक वैक्सीन पर काम किया जा रहा है. यह वैक्सीन बीजीसी का टीका है. कहा जा रहा है कि बीसीजी के वैक्सीन से कोरोना संक्रमितों का इलाज संभव है ! इसमें सच्चाई कितनी इसे लेकर पड़ताल शुरू हो गया है. वैक्सीन को जाँचने ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी DCGI ने देश के 5 मेडिकल संस्थानों को वैक्सीन के ट्रायल की जिम्मेदारी सौंपी है. बता दें कि बैसिलस कालमेट गुएरिन (बीसीजी) टीका हिंदुस्तान में जन्म के बाद हर बच्चे को लगाया जाता है..
175 लोगों पर बीसीजी के टीके का परीक्षण किया जाएगा
बीसीजी की वैक्सीन का ट्रायल उन लोगों पर किया जाएगा जो कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के नजदीक रहे हों. इनमें डॉक्टर, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ शामिल हैं. यही नहीं, कोरोना पॉजिटिव मरीज के घरवालों पर भी ट्रायल किया जाएगा. रोहतक पीजीआई में 175 लोगों पर बीसीजी के टीके का परीक्षण किया जाएगा. टीका लगने के 6 महीने तक ऐसे लोगों का मेडिकल ऑब्जर्वेशन किया जाएगा.
बीसीजी टीका देने वाले देशों मे कोविड का रेट कम
बताया जा रहा है कि बीसीजी टीका अमेरिका, इटली, स्पेन, नीदरलैंड नहीं देते हैं और यहां कोरोना का प्रकोप बहुत ज्यादा है. जबकि ब्राजील, जापान बीसीजी टीका अपने देश में देते हैं तो वहां कोविड का रेट कम है.
बहरहाल बीसीजी का टीका कोरोना से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार हो सकता है या नहीं, इसी बात का पता लगाने की जिम्मेदारी देश के 5 बड़े मेडिकल संस्थानों पर आ गई है. लेकिन इसके नतीजे आने में वक्त लगेगा क्योंकि इस ट्रायल की प्रक्रिया लंबी है.