दिल्ली। देश के स्वास्थ्य मंत्रालय की एक टीम ने लगभग दस हजार लोगों पर सर्वे किया जिसमें सामने आया कि इनमें से 43 फीसदी लोग कोरोना के चलते डिप्रेशन में आ गए हैं। जो वाकई में खतरनाक संकेत है।
इस अध्ययन में शामिल 26 फीसदी प्रतिभागियों ने बताया कि वे माइल्ड डिप्रेशन से जूझ रहे हैं जबकि 11 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि वे काफी हद तक डिप्रेशन का शिकार हैं। वहीं छह फीसदी प्रतिभागियों ने डिप्रेशन के गंभीर लक्षण होने की बात कही। अध्ययन में कहा गया, गत पांच महीने बहुत ही खराब रहे हैं। इस स्थिति का लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है। कई चरणों के लॉकडाउन, बेरोजगारी, स्वास्थ्य संबंधी भय और अनिश्चित वातावरण से लोगों में तनाव उच्चतम स्तर पर है।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि, बेहद ज्यादा तनाव डिप्रेशन का रूप ले लेता है। मौजूदा लॉकडाउन और जीवनशैली में आए अचानक बदलाव की वजह से इस रिसर्च में 43 फीसदी भारतीय डिप्रेशन का शिकार हैं और इससे निपटने का प्रयास कर रहे हैं। इस रिसर्च सर्वे में शामिल प्रतिभागियों के स्तर को आंकने के लिए अध्ययनकर्ताओं ने मरीज द्वारा स्वयं भरी जाने वाली प्रश्नावली का सहारा लिया था।