रायपुर। लॉकडाउन में उपजी समस्या और किसानों की बेहतरी के लिए रायपुर कृषि वैज्ञानिक डॉ. संकेत ठाकुर ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर कुछ सुझाव दिए है. उन्होंने कहा कि कोरोना लॉकडाउन का वर्तमान के अतिरिक्त भविष्य में दूरगामी प्रभाव पड़ना है। छत्तीसगढ़ में सब्जी, चना और फल उत्पादक किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. किसानों को इस वर्ष दोहरा नुकसान हुआ है, पहले ओला और  फिर बेमौसम बारिश ने फसल बर्बाद की. अब लॉकडाउन की वजह खेतों में लेबर ना आने के कारण तुड़ाई-कटाई प्रभावित हुई तो मंडी में वाजिब रेट नहीं मिलने के कारण भारी नुकसान हो रहा है. पढ़िए पूरा पत्र.

इन्हें हुआ नुकसान

  • कुम्हारी में किसान रुगधर यादव की करीब 180 एकड़ में सब्जियां ओले-बारिश के कारण बर्बाद हुई. करीब 80 लाख के कर्ज में लीज पर खेती कर रहे रुगधर अब क्या करें उनकी समझ में नहीं आ रहा है.
  • सुनीता बघेल ने ग्राम मंझगांव, ब्लॉक सहसपुर लोहारा में 70 एकड़ में चना लगाया. पहले बारिश ने बर्बादी लाई, अब जब बची खुची फसल कटाई को तैयार हुई तो लॉकडॉउन के कारण कटाई नहीं कर पाई. पूरी फ़सल खेत में सूख गई.
  • चन्द्र शेखर वर्मा ने ग्राम कुसमंदा, बोइला में 6 एकड़ में केला लगाया था. 1000 पौधे तो आंधी-पानी की भेंट चढ़ गये. बचे पौधों में फल लगे, कटाई को तैयार है तो फल को मंडी ले जाने के लिये गाड़ी नहीं मिल रही है, लोकल कोचिये रु 4-5 प्रति किलो रेट दे रहे है, जाहिर है फसल लागत भी नहीं निकलने वाली है.
  • तुषार चंद्राकर ने महासमुंद के पाली हाउस में गुलाब-जरबेरा की खेती की. फूलों की डिमांड नहीं है. अब तक 10 लाख का फूल बिक जाना था.वे फूलों जो काट काटकर फेंक रहे हैं.

प्रदेश के सभी किसानों पर कोरोना लॉकडाउन की गम्भीर मार पड़ी है. भविष्य की तस्वीर भी कुछ भयावह नजर आता है. मार्च, अप्रैल मई महीना खरीफ फसलों के लिये बीज प्रोसेसिंग, पैकेजिंग व परिवहन का रहता है. खरीफ की धान, मक्का, दलहन, तिलहन, सब्जी आदि के बीज समय पर उपलब्ध नहीं हो पाएंगे. जिससे बोनी प्रभावित हो सकती है. किसानों को मजबूरी में घटिया बीजों का इस्तेमाल करना पड़ सकता है. खेती के लिये धन के लिये चुनौती होगी. किसानों को बीज के अलावा खाद, दवा, आदि की व्यवस्था करना एक बहुत बड़ा सवाल होगा.

यह भी स्पष्ट है कि किसानों की मेहनत के दम पर ही आज इस भारी आपदा में पौने तीन करोड़ आबादी को भोजन मिल पा रहा है. सब्जी, दूध, फल की कमी नहीं है. यदि डॉक्टरों ने प्रदेश के हजारों लोगों का उपचार कर उन्हें जिंदगी दी है तो प्रदेश के मेहनतकश किसानों ने कम आमदनी के बावजूद अन्न उत्पादन कर प्रदेश के करोड़ों लोगों को भूखा मरने से बचाया है. आज प्रदेश की पौने तीन करोड़ आबादी घरों में रहकर टीवी-सोशल मीडिया के साथ मजे से जिंदगी गुजार रही है तो उसके पीछे मनचाहा भोजन उपलब्ध कराने वाले किसानों की मेहनत ही है.

आज प्रदेश को बचाये रखने वाले अन्नदाता किसानों का कर्ज चुकाने के वक्त प्रदेश सरकार का फर्ज है कि किसानों को वर्तमान व संभावित तकलीफों से बचाने तत्काल कदम उठाएं. प्रदेश को स्वस्थ बनाये रखने के लिये सरकार द्वारा निम्नलिखित सुझावों को अमल में लाने की आवश्यकता है.

ये हैं सुझाव

  • किसानों के समस्त फसल उपज की खरीदी अब सरकारी स्तर पर हो, जिसमें प्रत्येक फसल के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य स्वामीनाथन कमेटी की अनुशंसा के अनुरूप लागत का डेढ़ गुना हो.
  • सब्जियों, फलों आदि का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए और इसी दर पर ही खरीदी सुनिश्चित की जाये.
  • किसानों को खेती के पहले नकद एडवांस दिया जाए जो संभावित लागत का कम से कम 75% हो. इस एडवांस को सरकारी खरीदी के समय एडजस्ट किया जाए.
  • बीज कम्पनियों से सरकार तत्काल पर्या करे और आगामी खरीफ फसल के लिये उनके दवारा बीज व्यवस्था में सहयोग करे, जैसे बीज के परिवहन, भंडारण आदि में सहायता उपलब्ध हो.
  • कृषि को मनरेगा में शामिल किया जाए. जिसमें लघु-सीमांत किसानों को मनरेगा से भुगतान किया जाए तय मध्यम-बड़े किसानों के लिये 50% राशि का भुगतान मनरेगा के तहत किया जाये.
  • कृषि से सम्बंधित सभी व्यवसाय को आवश्यक सेवा घोषित किया जाये.
  • सब्जी बाजार खोलने की बजाए सरकार सब्जी वितरण को सार्वजनिक वितरण प्रणाली याने राशन दुकानों से जोड़े और होम डिलीवरी करवाये.
  • किसानों के लिये संचालित विविध योजनाओं के मद में सब्सिडी राशि किसानों के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर किया जाये, तथा किसान को अपनी पसन्द से बीज, यंत्र, ड्रिप आदि खरीदने की छूट दी जाए.
  • पीएम केयर की तरह सीएम किसान केयर प्रारम्भ किया जाये जिसमें डोनेशन की राशि को आयकर से छूट के साथ साथ कारपोरेट के सीएसआर फंड का पैसा आदि सीधे किसानों के खातों में जमा किया जाए.
  • सभी कृषि योजनाओं का लाभ बटाईदार या रेगहा लीज में खेती करने वाले किसानों को मिले. जैसे फसल बीमा योजना, धान बोनस, फसल ऋण, कृषि सब्सिडी आदि का लाभ इन किसानों को नहीं मिलता. उन्होंने आशा व्यक्त की है कि इन सुझाव को अमल में लाने आप उच्च स्तर पर प्रयास करेंगे.