राजनांदगांव। जिले में कोरोना की वजह से अफरा-तफरी मची है, ना तो कोरोना की समय पर जांच हो रही है और ना ही संक्रमितों का इलाज हो पा रहा है. यही नहीं मौत के बाद शवों को सद्गति भी नहीं मिल पा रही है. कभी कचरा वाहन में शव भेजे जा रहे हैं, तो कभी ट्रैक्टर से और अब तो शव की अदला-बदली भी शुरू हो गई है. जीवितों के इलाज करने में नाकाम अस्पताल प्रबंधन मृतकों की भी सहीं पहचान नहीं कर पा रही है. किसी परिजन को गलत शव दिया जा रहा है तो किसी को उनके अपनों का शव कहां है, यह भी पता नहीं चल पा रहा है.

ऐसे ही एक मामले में रायपुर के समीप कुम्हारी के ग्राम खपरी में एक कोरोना संक्रमित को इलाज की जरूरत थी, परिजनों ने रायपुर के सभी अस्पतालों में संपर्क किया पर इलाज की व्यवस्था नहीं हो पाई, तो उन्होंने राजनंदगांव मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अपने परिजन को दाखिल कराया. 18 अप्रैल की सुबह उनकी मौत के बाद मृतक के पुत्र ने शव अपने गांव ले जाने की मांग की. कोरोना प्रोटोकॉल के तहत उसने स्थानीय प्रशासन से शव लेने की अनुमति मांगी और अपने गांव में भी सरपंच से शव लाने ले और अंतिम संस्कार की एनओसी ले लिया.

अस्पताल में नहीं मिला पिता का शव

मृतक का पुत्र जब राजनंदगांव मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचा, तब उसके पिता का शव अस्पताल से गायब था! वहां मौजूद सभी शव में उसने अपने पिता की तलाश की, लेकिन उसके पिता का शव उनमें नहीं था. मृतक के पुत्र का कहना है कि राजनंदगांव मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उसने स्वयं ऑक्सीजन की व्यवस्था भी की थी, और ऑक्सीजन लगाने के लिए पैसे भी दिए थे, इसके बावजूद उसके पिता को नहीं बचाया जा सका और उनकी मौत के बाद उनके पिता का शव का भी कोई पता नहीं है.

अंतिम संस्कार करने के बाद पहुंचे घर तब

राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लापरवाही का मामला यहीं नहीं थमा, इसके बाद एक अन्य मामले में राजनांदगांव जिले के गातापार निवासी एक 45 वर्षीय व्यक्ति की मौत के बाद उसके परिजनों को उस व्यक्ति का शव सौंपा गया. कोरोना का हवाला देते हुए शव को पॉलीथिन से नहीं निकालने और तुरंत अंतिम संस्कार किए जाने की हिदायत दी गई. इसके बाद परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया. अंतिम संस्कार कर जब परिजन अपने घर पहुंचे, तब उन्हें राजनंदगांव मेडिकल कॉलेज अस्पताल से फोन आया कि वे अपने परिजन का शव लेने आ जाएं!

दूसरे व्यक्ति का कर दिया अंतिम संस्कार

यह सुनते ही उनके होश फाख्ता हो गए, क्योंकि उन्होंने ही कुछ घंटे पूर्व परिजन के शव का अंतिम संस्कार किया था. इसके बाद वे जब राजनंदगांव मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे तब उनके परिजन का शव मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मरचुरी में मिला. इसके बाद परिजनों को यह समझते देर नहीं लगी कि, उन्हें जो शव दिया गया था वह दूसरे का था.

परिजनों को दिखाया जाता है शव

इन दोनों ही मामलों में माना जा रहा है कि कुम्हारी निवासी व्यक्ति और गाटापार निवासी व्यक्ति के शव में अदला-बदली हुई होगी. इस मामले को लेकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक प्रदीप बैग का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा प्रशासनिक टीम को सौंपा जाता है, वहीं परिजनों को भी शव दिखाकर पहचान कराई जाती है. अब सवाल है कि जिस तरह से लगातार मामले सामने आ रहे हैं, उससे किसी भी लिहाज से नहीं लग रहा है कि अस्पताल प्रशासन अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा है.