दिल्ली एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के डॉक्टर, बायोटेक Vaccine के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रो. संजय राय के मुताबिक जब पता है कि बच्चों को दिक्कत नहीं होती तो टीका देकर उससे जुड़े साइड इफेक्ट्स का खतरा मोल लेने की क्या जरूरत है? अगर कुछ बच्चों को ही वैक्सीन के बाद परेशानी बढ़ती है, तब भी इस उम्र के बच्चों को टीका देने की जरूरत नहीं.
नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (एनटागी) में ये चर्चा चल रही है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों को Corona Vaccine देना चाहिए या नहीं देना चाहिए. इसी बीच स्वास्थ्य एक्सपर्ट का मानना है कि अभी कोई इमरजेंसी न हो तो इस उम्र के बच्चों को तुरंत टीका देना जरुरी नहीं है.
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डॉ. रमन गंगाखेड़कर के मुताबिक जो बच्चे कैंसर, एचआईवी, कम रोग प्रतिरोधक क्षमता जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं, उन्हें वैक्सीन दी जा सकती है. बच्चों को कई तरह की बीमारियां होती हैं, लेकिन सभी से बचाव के लिए वैक्सीन नहीं देते. इसलिए यह भी सोचना होगा कि किस बीमारी से खतरा है, उसी की Vaccine दें.
माइक्रोबायोलॉजिस्ट व वायरोलॉजिस्ट डॉ. गगनदीप कंग के मुताबिक, जब तक फुल लाइसेंस न मिल जाए, इस उम्र के बच्चों को वैक्सीन देने का निर्णय उचित नहीं होगा. अभी ऐसे तुलनात्मक अध्ययन होने चाहिए कि बच्चों के लिए कौन-सी Vaccine ज्यादा प्रभावी और सुरक्षित होगी. अध्ययन में और समय लगे तो लगाना चाहिए, अभी कोई जल्दबाजी नहीं है.
प्रसिद्ध माइक्रोबायोलॉजिस्ट और वायरोलॉजिस्ट डॉ. गगनदीप कंग ने बताया कि एनटागी ने 12 से 15 साल के बच्चों को भी वैक्सीन देने की कोई सिफारिश नहीं की थी. इसका निर्णय नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 (नेगवैक) ने लिया था.
भारत बायोटेक ने 2-18 वर्ष तक के बच्चों पर कोवैक्सीन की बूस्टर डोज संबंधी दूसरे/तीसरे चरण के परीक्षण के लिए औषधि नियामक से अनुमति मांगी है. फिलहाल कोवैक्सीन और कोविशील्ड की एहतियाती डोज 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के वैसे लोगों को दी जाती है, जिन्हें दूसरी डोज लिए हुए 9 माह पूरे हो चुके हैं. हैदराबाद की कंपनी ने 29 अप्रैल को डीसीजीआई के समक्ष आवेदन करके कोवैक्सीन की बूस्टर डोज के परीक्षण की अनुमति मांगी. अध्ययन दिल्ली व पटना एम्स सहित 6 स्थानों पर होगा.
एक्सपर्ट्स का भी यही मानना है कि Vaccine को पूरी तरह इजाजत मिलने और लंबे समय का सेफ्टी डेटा उपलब्ध होने के बाद ही बच्चों को टीका लगाने पर विचार करना चाहिए. जल्दबाजी की कोई जरूरत नहीं है.
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