नई दिल्ली। चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप ने दुनिया के तमाम देशों के लिए मुसीबत पैदा कर दी है, जिनके नागरिकों का किसी न किसी वजह से चीन आना-जाना है. यह एक ऐसा अवसर भी है जब चीन में रह रहे विदेशी अपने-अपने देशों से अपने को बाहर निकाले जाने की उम्मीद लगाएं. ऐसे मौके पर भारत ने दो स्पेशल फ्लाइट के जरिए अपने नागरिकों को वापस लाकर उन्हें तसल्ली तो दे दी, लेकिन वहां फंसे पाकिस्तान के लोग जार-जार रोते हुए वापस नहीं लिए जाने पर अपनी सरकार को कोस रहे हैं.

बता दें कि भारत, पाकिस्तान सहित इंडोनेशिया, मलेशिया सहित एशिया के उन तमाम देशों के नौजवानों के लिए चीन पसंदीदा मुकाम है, जो अपने यहां पर्याप्त सुविधा नहीं होने की वजह से पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. चीन का हुवे क्षेत्र का वुहान शहर चीन का एक तरह से एजुकेशन हब है, जहां 25 विश्वविद्यालय स्थित हैं. और समस्या इस बात की है कि इसी वुहान से कोरोना वायरस का फैलाव हुआ.

चीन में कोराना वायरस के प्रकोप को देखते हुए भारत अभी तक 600 से ज्यादा लोगों को वहां से वापस ला चुका है, जिन्हें अलग से बनाए गए सेंटर में 14 दिनों तक डॉक्टरों की निगरानी में रखने के बाद घर भेज दिया जाएगा. भारत की तरह बांग्लादेश भी अपने नागरिकों को वुहान से वापस ले आया है. मालद्वीप के सात लोगों को भी भारत वापस ले आया है. लेकिन पाकिस्तान ने अब तक ऐसी कोई पहल नहीं की है, बल्कि वह उन्हें चीन में ही रहने की सलाह दे रहा है.

इसके पीछे जो बड़ी वजह है कि पाकिस्तान में चीन से आने वाले लोगों के लिए स्क्रीनिंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. और इस शर्म से बचने के लिए वह चीन के साथ इस आड़े वक्त में साथ खड़ा रहने की अपनी प्रतिबद्धता बता रहा है. पाकिस्तान की इस समस्या को पाकिस्तान के लोग अच्छी तरह से समझ रहे हैं, और चीन में फंसे पाकिस्तानी भी जान रहे हैं, इसलिए इमरान खान से मदद मांगने की बजाए सीधे पाकिस्तान सेना और सेना प्रमुख बाजवा से गुहार लगा रहे हैं.

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लेकिन न तो पाकिस्तान सरकार और न ही पाकिस्तान सेना अपने नागरिकों को चीन से निकालने की स्थिति में है. ऐसी स्थिति में चीन से लेकर पाकिस्तान में सरकार की किरकिरी हो रही है. वहीं इससे एक बड़ा संदेश दुनियाभर में रहने वाले पाकिस्तानियों को जा रहा है, कि उन्हें विपरित हालात में अपनी सरकार पर तो कम से कम भरोसा नहीं करना है, जो भी करना है अपने बलबूते पर करना है.