नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार थमने का नहीं ले रही है. कोरोना वायरस अपना कहर बरपा रहा है. संक्रमित मरीजों के साथ मरने वालों का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है. इसे देखते हुए भारत में कभी भी पूर्ण लॉकडाउन लगाया जा सकता है. इस पर प्रधानमंत्री जल्द फैसला ले सकते हैं.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में केंद्र और राज्य सरकारों को आदेश दिया है कि दूसरी लहर के दौरान जिस रफ्तार से नए मामले बढ़ रहे हैं. उसके मद्देनजर पूरे देश में एक बार फिर पूर्ण लॉकडाउन लगाए जाने पर विचार किया जाना चाहिए. आवासीय प्रमाण पत्र या फिर पहचान पत्र के अभाव में किसी मरीज को अस्पताल में दाखिल होने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए.

कोरोना की दूसरी लहर में पॉजिटिव लोगों के नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. रोजाना लाखों की संख्या में संक्रमित केस मिल रहे हैं. रोजाना हजारों लोगों की मौत हो रही है. देश में मरीजों की तादाद इतनी अधिक बढ़ने की वजह से सरकार की ओर से की गई चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. कहीं अस्पतालों में बिस्तर की कमी है, तो कहीं ऑक्सीजन की कमी की वजह से मरीजों की जान गंवानी पड़ रही है.

3 मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट की हिदायतें

  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को कोरोना को रोकने के लिए पूर्ण लॉकडाउन लगाने पर विचार करने के लिए कहा है. कोर्ट ने कहा कि कमजोर तबके के लोगों को भी आपको ध्यान रखना है. जरूरत की चीजों को पूरी तरह से ध्यान रखिएगा.
  • कोर्ट ने कहा कि मरीजों का इलाज किया जाए. अस्पताल लोकल आईडी पहचान पत्र के नाम पर मरीज को भर्ती करने या जरूर दवाएं देने से मना नहीं कर सकता है. वहीं दूसरी तरफ नेशनल पॉलिसी पर भी विचार करने के लिए कहा गया है. इस पॉलिसी को सभी राज्यों को मानना होगा.
  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को वैक्सीन पॉलिसी पर दोबारा से विचार करने के लिए कहा है. वैक्सीन निर्माताओं से दामों पर मोलभाव करें. साथ ही किस तरह से वैक्सीन को अलॉटमेंट करना है और उसे डिस्ट्रीब्यूट करना है. यह भी केंद्र सरकार तय करें. कोर्ट ने कहा कि सारी वैक्सीन खुद खरीदे और इसके बाद वह वैक्सीन राज्य सरकारों को दें. कोर्ट ने कहा था कि निजी मैन्युफैक्चरर्स ये तय नहीं करेंगे कि किसे, कितनी वैक्सीन दी जाए. उन्हें इसकी आजादी न दी जाए.

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